संपादकीय

Published: Mar 12, 2021 10:49 AM IST

संपादकीयस्वीडन का फिर नाम आया, बोफोर्स के बाद अब बस घोटाला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

जब स्व. राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब बोफोर्स तोप घोटाला चर्चित हुआ था। यद्यपि उस समय स्वीडन की एबी बोफोर्स कंपनी से खरीदी गई हाविरेजर तोपें उन्नत दर्जे की थीं और कारगिल युद्ध के समय इनकी उपयोगिता सिद्ध हो गई, इतने परभी इन तोपों की खरीदी में कमशीनखोरी के आरोप लगे थे। इसके बाद हुए चुनाव में बी पी सिंह के नेतृत्व में जनता दल सरकार सत्ता में आई थी। बाफोर्स के कमीशन की रकम कहां गई इसका पता ही नहीं चल पाया। इस संबंध में हिंदुजा बंधुओं व क्वात्रोची के नाम की चर्चा थी।

हिंदुजा पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके और क्वात्रोची मलेशिया, इंग्लैंड व अर्जेंटिना भागता फिरा। बाद में उसकी मृत्यु हो गई, अब स्वीडन की ट्रक व बस निर्माता कंपनी स्कैनिया का घोटाला सामने आया है। इस कंपनी ने भरत के 7 राज्यों में ठेका हासिल करने के लिए वर्ष 2013 से 2016 के बीच रिश्वत दी थी। भले ही बसों और ट्रकों की क्वालिटी अच्छी हो लेकिन पे आफ या रिश्वत देना तो हर हालत में गैरकानूनी है।

इससे यही साबित होता है कि बगैर भ्रष्टाचार के कोईठेका मंजूर ही नहीं होता। स्कैनिया के सी ई ओ हेनरिक देनरिकसन ने रिश्वत देने की बात स्वीकारते हुए कहा कि हम नासमझ हो सकते हैं लेकिन हमने ऐसा किया। हम भारत में बड़ी सफलता हासिल करना चाहते थे लेकिन हमने जोखिम का सही आकलन नहीं किया। भारत में जिन लोगों ने गलती की थी, उन्होंने कंपनी छोड़ दी और जितने बिजनेस पार्टनर जुड़े थे, उनके कांट्रैक्ट रद्द कर दिए गए।

कंपनी के प्रवक्ता के अनुसार बिजनेस पार्टनर के जरिए रिश्वत देने और गलत प्रतिनिधित्व के आरोप लगने के बाद स्कैनिया ने भारतीय बाजार में बसें बेचना बंद कर दिया और अपनी फैक्ट्री को भी बंद कर दिया। कंपनी ने खुद स्वीकार किया कि स्कैनिया ने ट्रक के मॉडल्स में फर्जीवाड़ा किया और लाइसेंस प्लेटें बदलकर ट्रकों को भारतीय खनन कंपनियों को बेचने की कोशिश की।

यह बिक्री की डील 1.18 करोड़ डॉलर में की जा रही थी। स्वीडन की मीडिया, जर्मन ब्राडकास्टर व भारत के कान्फ्लुएंस मीडिया के अनुसार एक भारतीय मंत्री को रिश्वत दी गई थी जिसका नाम जाहिर नहीं किया गया।