संपादकीय

Published: Oct 28, 2023 03:09 PM IST

संपादकीयसंयुक्त राष्ट्र की चेतावनी, भारत में गंभीर जल संकट की दस्तक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

जो लोग लापरवाही से पानी का भारी अपव्यय करते हैं, उन्हें संयुक्त राष्ट्र की इस चेतावनी की ओर ध्यान देना चाहिए कि भारत में 2025 तक भूजल का गंभीर संकट हो सकता है. ट्यूबवेल के जरिए अंधाधुंध जलनिकासी करनेवाले किसानों तथा उद्योगों को इस बारे में शीघ्र ही सतर्क हो जाना चाहिए. भूजल का स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. जब जल स्तर मौजूदा कुएं की पहुंच योग्य सतह से भी नीचे चला जाता है तो किसानों को सिंचाई तो क्या पीने के लिए भी पानी मिलना दूभर हो जाएगा. यूएन के पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान द्वारा प्रकाशित इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट में इस खतरे के प्रति आगाह किया गया है.

इसके मुताबिक देश के पूरे उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर जल संकट गहरा सकता है. इस संबंध में यह भी ध्यान रखना होगा कि गन्ना और धान का उत्पादन क्षेत्र घटाया जाए क्योंकि यह जमीन से बहुत ज्यादा पानी खींचनेवाली फसले हैं. एक किलो धान उपजाने में 1,000 लीटर पानी लगता है. इसी तरह यूकलिप्टिस या नीलगिरी के वृक्ष हरगिज न लगाए जाएं क्योंकि यह बहुत भूजल खींच लेता है. वास्तव में इस तरह के वृक्ष को दलदली जगहों पर लगाना चाहिए.

इसके अलावा होटलों में बहुत अधिक जल का अपव्यय होता है. टब में स्नान करने में पानी की भारी बर्बादी होती है इसलिए सीमित समय के लिए शावर लेने या लोटा बाल्टी से नहाने में ही समझदारी है. लापरवाही से नल खुला छोड़ देने या शेविंग के समय नल बहते रहने देने से पानी व्यर्थ बहता रहता है. मग में पानी लेकर भी तो शेव किया जा सकता है. टपकते नल को तुरंत प्लंबर बुलाकर दुरुस्त करवा लेना चाहिए. इन छोटी-मोटी बातों से पानी का दुरुपयोग टाला जा सकता है.

रोज-रोज आंगन धोने या पौधों में जरूरत से ज्यादा पानी डालने की भी जरूरत नहीं है. सर्वाधिक प्राथमिकता पेयजल, फिर खेतों की सिंचाई और बाद में उद्योगों को दी जानी चाहिए. राजस्थान के जैसलमेर कलोदी जैसे इलाकों में जहां वर्षा नहीं के बराबर होती है, लोग पानी का महत्व जानते हैं. ऐसे भी इलाके हैं जहां कुओं में ताला लगाया जाता है. कुछ वर्ष पूर्व मराठवाडा के लातूर में ऐसा भीषण जलसंकट पड़ा था कि ट्रेन से पानी भेजने की नौबत आई थी. जल ईश्वर की नियामत है. भूजल स्तर बढ़ाने की योजनाओं पर जोर दिया जाना चाहिए.