नवभारत विशेष

Published: Sep 09, 2021 11:56 AM IST

निशानेबाज़तीसरी लहर का इंतजार रोके गए त्योहार घरों में ही जयकार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें गुलाम अली की वो गजल याद आ रही है- दिल में इक लहर सी उठी है अभी, कोई ताजा हवा चली है अभी! एक फिल्मी गीत भी था- जमाने से कहो, अकेले नहीं हम, हमारे साथ-साथ चलें गंगा की लहरें.’’ हमने कहा, ‘‘इस समय इधर-उधर की नहीं, बल्कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. केरल में बड़ी तादाद में लोग संक्रमित हुए हैं. कोरोना के भय से त्योहारों पर बंधन लगा दिए गए हैं. इस वर्ष भी सार्वजनिक गणेशोत्सव नहीं होगा. घरों में ही रहकर गणपति बाप्पा की जय-जयकार करनी पड़ेगी.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, त्योहार पर उमंग-उल्लास सब हो गया खल्लास. अब धूमधाम का नहीं रह गया काम! न बजेगा बैंड, न बाजा, याद आएंगे लालबाग के राजा. लगता है घर में ही अथर्वशीर्ष पढ़कर बुद्धिविधाता का नाम स्मरण करना होगा. भले ही भगवान की कीर्ति महान हो लेकिन मूर्ति लहान यानी छोटी सी रहेगी. मंडल के महाकाय गणपति के दर्शन नहीं होंगे.’’ हमने कहा, ‘‘जहां भीड़ होगी, वहां कोरोना फैलेगा. इसलिए सरकार ने बंदिशें लगाई हैं. वह मानती है कि लोगों की जिंदगी अहम है. शरीर सुरक्षित रहेगा तो आगे भी उत्सव-पर्व मनाए जा सकेंगे. दुस्साहस करके खतरों के खिलाड़ी बनने से बचिए और कोरोना प्रोटोकाल का पालन करिए.

इस बार सरकार की तैयारी बेहतर है. उसने ऑक्सीजन प्लांट लगवा दिए हैं, अस्पतालों में बेड बढ़वा दिए हैं. जीएसटी के कलेक्शन और पेट्रोल-डीजल-गैस पर एक्साइज ड्यूटी की कमाई से सरकार का गल्ला भर गया है. परेशान हैं तो वे लोग, जिनका कोरोना की वजह से धंधा-रोजगार चौपट हो गया है या नौकरी खो बैठे हैं. लोगों ने तीसरी मंजिल, तीसरी आंख, तीसरा कौन जैसी फिल्में देखी थीं, अब वे कोरोना की तीसरी लहर देखने को मजबूर हैं.’’