निशानेबाज़

Published: Sep 08, 2021 11:39 AM IST

निशानेबाज़तालिबान सबसे बड़े हैवान जिन पर पाकिस्तान और चीन मेहरबान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, खूंखार तालिबान की खबरें पढ़कर बड़ा बुरा लगता है. आदिमानव भी इतना हिंसक नहीं रहा होगा जितने तालिबान हैं. उन्होंने एक महिला जेल अधिकारी की, जो 8 माह की गर्भवती थी, उसके पति व मासूम बच्चों के सामने बुरी तरह पीटा और फिर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी. उसका चेहरा इतना विद्रूप कर दिया कि पहचाना नहीं जा सकता. ऐसी नृशंसता देखकर लगता है कि तालिबान हैवान से भी बदतर हैं.’’ हमने कहा, ‘‘इस तालिबान पर पाकिस्तान और चीन मेहरबान हैं. कितने ही इस्लामी मुल्क उसके कद्रदान हैं.

तालिबान के अगले निशाने पर कश्मीर है. समस्या अत्यंत गंभीर है. पंजशीर में लड़ाकों ने तालिबान का ताल ठोंक कर मुकाबला किया था लेकिन पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने तालिबान का साथ दिया और उत्तर अफगानिस्तान का पंजशीर इलाका भी तालिबान के कब्जे में आ गया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, गलती अमेरिका की है जो अफगानिस्तान को लावारिस छोड़कर भाग निकला. अफगानी सरकारी सेना ने डर कर तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया. अरबों डॉलर के हथियार, टैंक, विमान, हेलीकॉप्टर तालिबान के हाथों में आ गए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का रवैया गैरजिम्मेदाराना रहा.’’ हमने कहा, ‘‘अमेरिका 20 वर्षों में कई अरब डॉलर अफगानिस्तान पर खर्च करता रहा.

वह कब तक वहां का बोझ उठाता? अमेरिकी फौजी भी वहां मारे जा रहे थे इसलिए अमेरिका वहां से अबाउट टर्न हो गया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सभी जानते हैं कि अफगानिस्तान पर जब रूस ने हमला किया था तब अमेरिकी पैसों व हथियारों की मदद से तालिबान का निर्माण हुआ था. तब ये लड़ाकू लोग मुजाहिदीन कहलाते थे. उन्हें पाकिस्तान की फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ट्रेनिंग दी थी. बाद में अपने ही तैयार किए गए भस्मासुर तालिबान से अमेरिका परेशान हो गया. हमारे यहां प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को थाली और ताली बजाकर कोरोना भगाने को कहा था जबकि अफगानिस्तान में तालिबान बेगुनाहों को तिल-तिल करके मार रहा है.’’