निशानेबाज़

Published: Jul 25, 2022 03:26 PM IST

निशानेबाज़पार्टी अनुशासन का डर, कभी-कभी दिल पर रखना पड़ता है पत्थर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के दिल की बात उनके होंठों पर आ गई. उन्होंने कहा कि हमने दिल पर पत्थर रखकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार किया है. केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाला है. पाटिल के इस स्पष्टवादी बयान से पार्टी में हलचल मच गई है. यह स्थिति उस फिल्मी गीत की याद दिलाती है- होंठों पे ऐसी बात मैं दबा के चली आई, खुल जाए वही बात तो दुहाई है, दुहाई!’’

हमने कहा, ‘‘स्वयं को असहज महसूस कर रहे चंद्रकांत पाटिल के इस असंतोष जतानेवाले बयान पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की प्रतिक्रिया है कि वे पत्थर दिल रखें या सिर पर, यह उनका मामला है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी में संघ का अनुशासन चलता है. वहां ऊपर से जो तय हो गया, वही मानना पड़ता है. नेता-कार्यकर्ताओं को शुरू से ट्रेनिंग रहती है कि कितना भी अप्रिय निर्णय हो, उसे आंख मूंदकर स्वीकार करो. अपनी एम्बिशन पर डिसिप्लिन का ढक्कन मजबूती से लगाओ. याद रखो कि अनुशासन की धरती पर बगावत के फूल नहीं खिला करते. व्यक्ति से बड़ा परिवार, परिवार से बड़ा समाज, समाज से बड़ी पार्टी और पार्टी से बड़ा देश!

पार्टी अनुशासन माननेवालों के दिमाग में यही गीत गूंज है- उफ न करेंगे, लब सी लेंगे, आंसू पी लेंगे, गम से अब घबराना कैसा, गम सौ बार मिला!’’ हमने कहा, ‘‘यह भी तो सोचिए कि दिल पर पत्थर रखना कितना तकलीफदेह होता है. दिल शीशे के समान नाजुक होता है इसीलिए गीत है- शीशा-ए-दिल इतना ना उछालो, ये कहीं टूट जाएगा, ये कहीं फूट जाएगा!’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कुछ लोगों का दिल मोम का रहता है तो कुछ इंसान पत्थरदिल या संवेदनाशून्य भी हुआ करते हैं. रही बात पत्थर रखने की तो एक गीत है- दिल पर पत्थर रखकर मुंह पर मेकअप कर लिया, मेरे सैंयाजी से आज मैंने ब्रेकअप कर लिया!’’