निशानेबाज़

Published: Jul 11, 2022 03:22 PM IST

निशानेबाज़जल रहे लकड़ी के चूल्हे, गैस सिलेंडर के दामों ने की उज्ज्वला योजना ठप्प

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, केंद्र सरकार ने लगातार इतनी बेदर्दी से गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए हैं कि सरकार की उज्ज्वला योजना ठप्प हो गई है. इस योजना को इसलिए शुरू किया गया था ताकि ग्रामीण और गरीब तबके की महिलाएं गीली लकड़ियों वाला चूल्हा फूंकने की जहमत से बचें और धुआंरहित गैस सिगड़ी का इस्तेमाल करें. अब सिगड़ी तो है लेकिन सिलेंडर नदारद है! इतना महंगा सिलेंडर खरीद पाना मुश्किल है.’’

हमने कहा, ‘‘महिलाओं को पहले लकड़ी का चूल्हा फूंकते समय धुएं की वजह से आंसू आते थे लेकिन अब तो धुआंरहित एलपीजी सिलेंडर इतना महंगा हो गया कि गृहिणियों को रुलाकर उनके आंसू निकाल रहा है. ऐसे वक्त पर हताश गृहिणी के कानों में मुकेश का दर्दभरा गीत गूंज सकता है- आंसू भरी हैं ये जीवन की राहें! अभी रसोई गैस की दरों में 50 रुपए प्रति सिलेंडर की वृद्धि कर दी गई. इसके साथ पिछले 1 वर्ष में कुल वृद्धि 244 रुपए या 30 प्रतिशत हो गई है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सिलेंडर के दाम 1053 रुपए हो गए जबकि उज्ज्वला योजना की गरीब लाभार्थियों को भी प्रति सिलेंडर 853 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा. जिस गरीब को 2 वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो पाता है वह बदहाली और बेरोजगारी के आलम में इतनी रकम कहां से जुटा पाएगा. वह तो फिर लकड़ी के चूल्हे पर लौट आएगा.’’

हमने कहा, ‘‘पहले कहावत प्रचलित थी कि घर-घर में मिट्टी के चूल्हे हैं लेकिन रेसाई गैस आने के बाद 50 वर्षों में लोगों ने इस कहावत को भुला दिया था. अब फिर से सरकार वही नौबत ला रही है. उज्ज्वला योजना के उजाले को महंगाई का ग्रहण अंधेरे में बदल रहा है. गरीबों के आंसू फिर टपकेंगे. वह महंगाई बढ़ानेवाली व्यवस्था को दोष देते हुए कहेगा- क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में!’’