निशानेबाज़

Published: Apr 26, 2022 01:50 PM IST

निशानेबाज़ठगो ने कर दिया कमाल, खरीदा काला घोड़ा, धोया तो निकला लाल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पंजाब में एक व्यक्ति ऊंची ब्रीड के घोड़ा का प्रजनन कराने के इरादे से अपने स्टड फार्म के लिए 22.65 लाख रुपए में काला घोड़ा खरीदा लेकिन अस्तबल ले जाने के बाद जब उसे नहलाया तो काला पेन्ट उतर गया और घोड़ा लाल रंग का साधारण नस्ल का निकला. ऐसी होती है धोखा धड़ी. अब वह व्यक्ति गुनगुना रहा होगा- मैं तो एवई एवई एवई लुट गया. पंजाब के एवई शब्द का अर्थ होता है- यूं ही अथवा ऐसे ही!’’

हमने कहा, ‘‘कि मधुप पांडेय ने लिखा था- उन्हें घोड़ा शब्द के 1000 अर्थ आते हैं लेकिन जब भी बाजार जाते हैं, घोड़े की बजाय गधा खरीद लाते हैं. इसलिए हर चीज पूरी तरह जांच परख कर खरीदनी चाहिए. मिट्टी की हंडी भी लोग ठोक बजाकर ही खरीदते हैं. जहां तक घोड़े की बात है, समुद्र मंथन के समय उसमें से उच्चैश्रवा नामक घोड़ा निकला था. महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक इतिहास में प्रसिद्ध है. महाराणा 80 किलो का भाला लेकर और 100 किलो का जिरह-बख्तर पहनकर चेतन पर सवार होकर युद्ध के मैदान में जाते थे.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज आप सुनी-सुनाई बातें कह रहे हैं. आज की मर्सीडीज और पोर्शे जैसी कारों के जमाने में घोड़े की चर्चा क्यों कर रहे हैं.’’ हमने कहा, ‘‘आज भी किसी इंजिन की ताकत हार्सपावर या एचपी में बताई जाती है. गणतंत्र दिवस परेड में सेना का कैवेलरी दस्ता घोड़े पर सवार रहता है. राष्ट्रपति के अंगरक्षक घोड़ों पर सवार रहते हैं. यूपी, उत्तराखंड में अब भी घुड़सवार पुलिस है. पहले रेस के घुड़सवार को जॉकी कहा जाता था, अब आपको रेडियो जॉकी या डिस्को जॉकी नजर आएंगे.

कुछ मालिक अपने कर्मचारियों के बीच घोड़े और गधे का फर्क नहीं पहचानते. घोड़ा एकमात्र प्राणी है जो जिंदगी में कभी नहीं लेटता. वह खड़े-खड़े ही सोता है. हालीवुड की पुरानी काउब्वाय फिल्मों में खूब घुड़सवारी दिखाई जाती थी. कहते हैं रेस का घोड़ा जब लंगड़ा हो जाता है तो उसे गोली मार दी जाती है. कहावत मशहूर है कि घोड़ा घास से याडी करेगा तो खाएगा क्या!’’