निशानेबाज़

Published: Jan 17, 2023 03:40 PM IST

निशानेबाज़निर्मला कहती हैं खुद को मिडिल क्लास, जनता को करना होगा विश्वास

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने देश के मिडिल क्लास के प्रति सहृदयता दिखाते हुए कहा कि मैं भी मिडिल क्लास से हूं और मुझे पता है कि मध्यम वर्ग पर कितना दबाव बना रहता है. सरकार ने मध्यम वर्ग की 5 लाख रुपए सालाना तक की आमदनी को इनकम टैक्स से छूट दे रखी है. मेट्रोल रेल सेवाएं दी है तथा 100 स्मार्ट सिटी बनाई जा रही हैं. निर्मला की इस निर्मल वाणी को लेकर आप क्या कहेंगे?’’

हमने कहा, ‘‘पुरानी सरकारें सिर्फ गरीबों पर ध्यान देती थीं. इसीलिए इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था. किसी ने भी नहीं कहा था कि गरीबी मिटाओ. हटाओ से तात्पर्य था कि इधर उठाओ और उधर रख दो. गरीबों का अस्तित्व जरूरी है ताकि उन्हें ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जा सकें और खैरात बांटकार उनके वोट लिए जा सकें. लोकतंत्र की मजबूती के लिए गरीब मतदाता बुनियाद का काम करते हैं. इसीलिए ज्यादा सोच विचार करनेवाले पढ़े-लिखे मिडिल क्लास की नेताओं ने हमेशा उपेक्षा की. अब वित्तमंत्री ने मिडिल क्लास को सहानुभूति का मरहम लगाया है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, भारत में कम्युनिज्म इसलिए खत्म हो गया क्योंकि गरीबों और अमीरों के बीच मध्यम वर्ग की मजबूत दीवार थी. महंगाई से जूझने के बावजूद महत्वाकांक्षी मध्य वर्ग की मानसिकता उच्च वर्ग की नकल करने की होती है. वह रहन सहन, फैशन जैसी तमाम चीजों में धनवान लोगों की कॉपी करता हैं. आज का मध्यम वर्ग खर्च किए गए एक-एक रुपए का हिसाब नहीं जोड़ता. होटलों में खाना खाता है. वह हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन लेता है. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करता है. छुट्िटया बिताने हिल स्टेशन या रिसोर्ट जाता है. वह बार-बार एयर ट्रैवल भी करने लगा है. इसी वर्ग के महत्वाकांक्षी युवक अब नव धनाड्य या नियो रिच के रूप में उभरने लगे हैं. मिडिल क्लास देश की इकोनामी की रीढ़ है. वह ईमानदारी से टैक्स देता है. हैसियत से ज्यादा पैसा खर्च कर देश की अर्थव्यवस्था को चलायमान या गतिशील रखता है. वह चादर देखकर पैर फैलाने की आदत छोड़ चुका है बल्कि चादर बड़ी करने में लगा हुआ है. इसकी तरक्की की वजह से अब देश में रिच और सुपर रिच लोगों की तादाद भी बढ़ी है.’’