निशानेबाज़

Published: May 26, 2020 10:26 AM IST

निशानेबाज़रेलवे की कैसी कार्यक्षमता प्रवासी श्रमिकों की राह भटकती ट्रेन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज यह हद दर्जे की लापरवाही है अथवा जानबूझकर की जा रही शरारत? क्या रेलवे अपनी कार्यक्षमता खो बैठी है जो प्रवासी मजदूरों को ले जा रही ट्रेनें यहां से वहां भटक रही हैं? गोवा से 1,129 श्रमिकों को लेकर बलिया के लिए निकली श्रमिक स्पेशन ट्रेन रास्ता भटक कर महाराष्ट्र में ही घूपती रही और अधिकारी इससे अनजान रहे। इस ट्रेन को भुसावल स्टेशन से मध्यप्रदेश के इटारसी होकर आगे बढ़ना था लेकिन लोको पायलट को मिले गलत दिशा निर्देशों के कारण यह ट्रेन इटारसी जाने की बजाय नागपुर पहुंच गई। रूट भटकने की वजह से श्रमिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा और भोजन व पानी के लिए तरसने की नौबत आ गई। रूट की सही जानकारी मिलने के बाद ट्रेन 25 घंटे विलंब से बलिया पहुंची।’’ हमने कहा, ‘‘इस ट्रेन के ड्राइवर ने कमाल ही कर दिया। इसके यात्रियों को यात्रा के दौरान 2 बार भुसावल स्टेशन मिला। एक बार सुबह भुसावल पहुंची और फिर शाम को भी वहीं पहुंच गई। यात्रियों ने शोर मचाया तो उन्हें वापस गोवा भेज देने की धमकी दी गई।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोई एक-दो नहीं बल्कि 40 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रास्ता भटक गईं। महाराष्ट्र के वसई से यूपी के गोरखपुर जाने वाले ट्रेन ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई। महाराष्ट्र के लोकमान्य टर्मिनल से पटना के लिए निकली ट्रेन बंगाल के पुरुलिया पहुंच गई। बंगलुरु से बस्वी जाने वाली ट्रेन झांसी से डायवर्ट किए जाने के बाद गाजियाबाद पहुंच गई’’ हमने कहा, श्रमिक स्पेशल ट्रेन के भूखे प्यासे यात्रियों को ट्रेनों का मार्ग भटकाकर एक तरह से भारत दर्शन कराया जा रहा है। रेलवे बोर्ड के चेयरमेन ने सफाई दी है कि 80 प्रतिशत ट्रेनें यूपी और बिहार पहुंच रही है जिसमें भीड़-भाड़ अधिक बढ़ गई है। ऐसे में कई ट्रेनों का रूट बदलना पड़ा है।’’ पड़ोसी ने कहा, रेलवे सोचती है कि श्रमिकों को कोई काम तो है नहीं उन्हें घर ही तो जाना है, फुरसत से भेजेंगे। जब सुब हका भूला शाम को घर लौटने पर भूला नहीं कहलाता वैसा ही ट्रेनों का हाल है। ट्रेन का सफर लखनऊ की भूल भुलैया के समान हो गया है। एक बार बैठ गए तो पता नहीं ट्रेन कहां-कहां भटकाएगी। एकदम कहीं भीड़ न पहुंच जाए इसलिए ट्रेनों को जानबूझकर, इधर उधर घुमाया जा रहा है। इस हालत को देखकर चलती का नाम गाड़ी फिल्म के गाने के बोल याद आ रहे हैं- जाते थे जापान, पहुंच गए चीन, समझ गए ना!’’