निशानेबाज़

Published: May 25, 2020 10:40 AM IST

निशानेबाज़उदार कदमों की प्रतीक्षा मध्यम वर्ग की क्यों हो रही उपेक्षा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, सरकार को सिर्फ अमीरों और गरीबों की फिक्र है। उसे मध्यम वर्ग की जरा भी चिंता नहीं है जो मुसीबत में जा फंसा है। अमीरों ने इतने वर्षों में खूब कमाया जबकि गरीब को नकदी मदद और राशन मिल रहा है। मिडिल क्लास को क्या मिला?’’ हमने कहा, ‘‘ऐसा मत समझिए कि सरकार लॉकडाउन में मध्यम वर्ग को भूल गई! उसने ईएमआई भरने में 3 माह की रियायत दी है। ब्याज भी कुछ कम किया है।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जो ईएमआई अभी स्थगित की गई है, वह बाद में चक्रवृद्धि ब्याज के साथ भरनी पड़ेगी। नौकरीपेशा मध्यम वर्ग के वेतन में कटौती हो गई है। वह मकान किराया, दूध, दवा का खर्च, बिजली-पानी का बिल, बच्चों के स्कूल-कालेज की फीस, कर्ज की किश्त भरने के लिए पैसा कहां से लाएगा? यदि वेतन एक-चौथाई या आधा कट गया तो खर्च की भरपाई कहां से करेगा? उसके पास कोई कारूं का खजाना तो है नहीं!’’ हमने कहा, ‘‘इसकी फिक्र आप क्यों करते हैं? सरकार को पता है कि मध्यम वर्ग के लोग संवेदनशील हैं। उन्हें वेतन कम भी मिलेगा तो भी मेड सर्वेंट के पैसे नहीं काटेंगे। मध्यम वर्ग का आदमी स्वाभिमानी होता है। वह गरीबी छिपाने के लिए भूखा रह जाएगा लेकिन फिर भी अपने स्टेटस मेंटेन करने की कोशिश करेगा। वह ऐसी हालत में भी प्रेस किए हुए कपड़े और पालिश किए जूते पहनेगा ताकि उसकी गरीबी को कोई भांप न सके। वह किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएगा।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारी समझ में नहीं आ रहा कि मध्यम वर्ग इतना सहनशील क्यों है और सरकार उसकी उपेक्षा क्यों कर रही है?’’ हमने कहा, ‘‘यह बात जान लीजिए कि मध्यम वर्ग भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी है। मध्यम वर्ग की बचत ही बैंकों से अमीरों को कर्ज के रूप में और गरीबों को खैरात की शक्ल में मिलती है। मध्यम वर्ग ईमानदारी से टैक्स भरता है और सारे कायदे-कानून का पालन करता है। राजनीतिक दल कभी अमीरों और गरीबों पर ज्यादा भरोसा नहीं करते। अमीरों का रवैया रहता है- जिधर दम, उधर हम! वे किसी पार्टी के स्थायी साथी नहीं रहते। जिससे डील हो जाए, उसकी मदद करते हैं। गरीबों के झोपड़बस्ती वाले वोट बिकते देखे गए हैं।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि मध्यम वर्ग इतना महत्वपूर्ण, विवेकी और संवेदनशील है तो सरकार को उसके लिए क्या करना चाहिए?’’ हमने कहा, ‘‘सरकार मध्यम वर्ग को लॉकडाउन के दौरान राहत दे। अमेरिका के समान उसके खाते में पैसे जमा करे। उसे कम से कम अपना स्तर मेंटेन करने दे, टुटपुंजिया न बनाए!’’