निशानेबाज़
Published: Jan 23, 2021 11:20 AM ISTनिशानेबाज़बंगाल चुनाव के समय इतने वर्ष बाद याद आए नेताजी
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी की खासियत है कि वह सर्वसमावेशक है और महात्मा गांधी को अनमने भाव से स्वीकार करने व नेहरू का तिरस्कार करने के बाद देश के सारे महापुरुषों पर अपनी दावेदारी जताती है. आगे चलकर शायद इतिहास यह कहेगा कि मदनमोहन मालवीय, सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस सभी बीजेपी में थे.’’
हमने कहा, ‘‘महापुरुषों से प्रेम और अपनापन जताना तो बहुत अच्छी बात है. यह तो बीजेपी की उदारता है कि वह महान विभूतियों को अपना बना रही है. बीजेपी भी इस देश की पार्टी है और महापुरुष भी इसी देश के हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हर बात में स्पष्टता रहनी चाहिए. महामना मदनमोहन मालवीय व नेताजी सुभाषचंद्र बोस दोनों ही अलग-अलग अवसरों पर कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए थे. बाद में नेताजी ने कांग्रेस छोड़कर फारवर्ड ब्लाक बना लिया था.
पं. नेहरू की सरकार में सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री व गृहमंत्री थे. सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर बैन लगाया था और संघ के नेता गिरफ्तार किए गए थे. जब संघ ने राजनीति से दूर रहकर सांस्कृतिक संगठन के रूप में काम करने का लिखित वादा किया तब संघ पर से पाबंदी हटाकर इन नेताओं को रिहा किया गया था. आरएसएस से जनसंघ और बीजेपी का संबंध आप जानते ही हैं.’’ हमने कहा, ‘‘जिनकी कांग्रेस ने कद्र नहीं की, उन्हें बीजेपी अपना बना रही है.
प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में सरदार पटेल की ऐसी भव्य प्रतिमा बनवाई जो विश्व में सबसे ऊंची है. इसी तरह बीजेपी का प्रेम नेताजी सुभाषचंद्र बोस के लिए भी उमड़ पड़ा है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बंगाल के विधानसभा चुनाव के समय इतने वर्षों बाद बीजेपी को नेताजी की याद आई. प्रधानमंत्री मोदी 23 जनवरी को कोलकाता में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उनकी याद में स्मारक सिक्का व डाक टिकट का लोकार्पण करेंगे. वे नेताजी पर होने वाले व्याख्यान में भी हिस्सा लेंगे.
मोदी सरकार ने नेताजी के जन्मदिवस को हर वर्ष पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. यह कहा जा रहा है कि बीजेपी सुभाष बाबू के नाम पर बंगाल के युवाओं को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है.’’ हमने कहा, ‘‘अब बंगाल की जनता को तय करने दीजिए कि नेताजी किसके हैं- बीजेपी के या ममता के! दोनों ही पार्टियां चुनाव के लिहाज से इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रही हैं.”