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Published: Sep 02, 2021 01:39 PM IST

नवभारत विशेषभारत-तालिबान बातचीत से उठता बवाल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

खाड़ी देश कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने यदि तालिबान नेता व राजनीतिक शाखा के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की तो अवश्य ही सरकार या विदेश मंत्रालय की ओर से उन्हें इसके लिए निर्देश मिला होगा. इसे लेकर विपक्ष भड़क उठा है. उसने कहा है कि आतंकी संगठनों से इस तरह मेल-मुलाकात कर केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा को खतरे में डाला है. विपक्ष ने मांग की कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री इस बात का खुलासा करें कि किस नीति या नियम के तहत मित्तल और तालिबानी नेता की मुलाकात हुई? यदि केंद्र के निर्देश के बिना मित्तल ने यह मुलाकात की तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. यदि केंद्र ने निर्देश दिया था तो सरकार को इस बारे में जवाब देना चाहिए.

विकास में भारत के सहयोग की तारीफ

तालिबान भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान में कराए गए विकास कार्यों की तारीफ करता रहा है. उसने कहा कि वह इन विकास कार्यों को जारी रखने के पक्ष में है. भारत ने 2 दशकों में अफगानिस्तान में करोड़ों डॉलर का निवेश किया है. तालिबान से बात नहीं होने पर इस निवेश पर संकट आ सकता है. वहां का संसद भवन, हेरात बांध, जल विद्युत परियोजना, स्कूल, कालेज, अस्पताल भारत ने ही बनाए हैं. भारत ने तालिबान से बातचीत जरूर की है लेकिन तालिबान सरकार को मान्यता देने या नहीं देने के बारे में कुछ नहीं कहा है. भारत हमेशा से तालिबानी सोच का विरोधी रहा है. वह चाहता है कि अफगानिस्तान में शांति हो, महिलाओं का पूरा सम्मान किया जाए और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन न किया जाए. उन्हें पढ़ने और काम करने की पूरी आजादी मिले. एशिया का बड़ा व अहम देश होने के कारण भारत को नजरअंदाज करना तालिबान के लिए संभव नहीं है. भारत को साथ लेकर वह विश्व बिरादरी को अपने में बदलाव का प्रमाण पेश कर सकता है. भारत-तालिबान की बातचीत सही दिशा में जाने पर इसका असर कश्मीर की शांति पर भी पड़ सकता है. अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के मुद्दे पर पाकिस्तान को तालिबान ने झटका दिया था. पाकिस्तान बार-बार कह रहा है कि कश्मीर पर कब्जा करने की उसकी मुहिम में तालिबानी उसका साथ देंगे. भारत तालिबान से बातचीत कर इस तरह की आशंका पर विराम लगवा सकता है. यह बात ज्यादा अहमियत रखती है कि तालिबान कश्मीर से दूर रहे.

3 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा

तालिबान से बातचीत में 3 प्रमुख मुद्दे थे. एक तो यह कि आने वाले दिनों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी, दूसरा यह कि जो अफगान नागरिक वहां से निकलना चाहते हैं, उन्हें बेरोकटोक जाने दिया जाए. तीसरा मुद्दा था कि तालिबान अफगानिस्तान की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल न होने दे. यदि बातचीत सही दिशा में बढ़ी तो भारत न केवल मानवीयता के नाते मदद का हाथ बढ़ा सकता है, बल्कि विकास में भी सहयोग दे सकता है. तालिबान को सिद्ध करना होगा कि अब वह पहले से काफी बदल गया है.