क्रिकेट

Published: Jan 07, 2024 06:50 PM IST

Usman KhawajaICC ने उस्मान ख्वाजा को दिया झटका, ‘आर्मबैंड' प्रतिबंध के खिलाफ अपील की खारिज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
उस्मान ख्वाजा (PIC Credit: Social Media)

मेलबर्न: आर्मबैंड (काली पट्टी) (Arm Band) पहनने के कारण लगे प्रतिबंध के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया (Australia) के सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (Usman Khawaja) की अपील को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने खारिज कर दिया। यह दावा सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की एक रिपोर्ट में रविवार को किया गया। 

ख्वाजा ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन मैचों की श्रृंखला के शुरुआती टेस्ट के दौरान गाजा में इस्राइल और फलस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष से प्रभावित होने वाले बच्चों के समर्थन में बांह पर काली पट्टी बांधी थी। इसके लिए आईसीसी ने उन्हें फटकार लगाई। पाकिस्तान में जन्में 37 साल के ख्वाजा आस्ट्रेलिया के लिये टेस्ट खेलने वाले पहले मुस्लिम क्रिकेटर हैं।   

रविवार को सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ‘पर्थ में पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट के दौरान मैदान पर काली पट्टी पहनने के लिए उस्मान ख्वाजा को आईसीसी ने फटकार लगाई थी। आईसीसी ने उनके खिलाफ प्रतिबंध हटाने की अपील को खारिज कर दी है।” आईसीसी के नियमों के तहत क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय मैचों के दौरान किसी तरह के राजनीतिक, धार्मिक या नस्लवादी संदेश की नुमाइश नहीं कर सकते। लेकिन पूर्व खिलाड़ियों, परिजनों या किसी अहम व्यक्ति के निधन पर पहले से अनुमति लेकर काली पट्टी बांध सकते हैं। 

आईसीसी के प्रवक्ता ने तब कहा था, ‘‘उस्मान ने क्रिकेट आस्ट्रेलिया और आईसीसी से अनुमति लिये बिना पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में निजी संदेश (बांह पर काली पट्टी) दिया। यह अन्य उल्लंघन श्रेणी में आता है और पहला अपराध होने पर उन्हें फटकार लगाई गई है।” इससे पहले ख्वाजा 13 दिसंबर को अभ्यास सत्र के लिये उतरे तो उनके बल्लेबाजी के जूतों पर ‘ आल लाइव्स आर इकवल’ और ‘ फ्रीडम इज ह्यूमन राइट’ लिखा हुआ था।

ख्वाजा ने तब कहा था,‘‘आईसीसी ने पर्थ टेस्ट के दूसरे दिन मुझसे पूछा था कि काली पट्टी क्यों बांधी है और मैंने कहा था कि यह निजी शोक के कारण है। मैंने इसके अलावा कुछ नहीं कहा था।” उन्होंने कहा,‘‘मैं आईसीसी और उसके नियमों का सम्मान करता हूं। मैं इस फैसले को चुनौती दूंगा। जूतों का मसला अलग था। मुझे वह कहकर अच्छा लगा लेकिन आर्मबैंड को लेकर फटकार का कोई मतलब नहीं है।”  

उन्होंने कहा कि जब वह अभ्यास सत्र के लिये आये तो उनका कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं था। उनके जूतों पर लिखे नारे हालांकि गाजा में चल रही जंग की ओर इंगित करते हैं। उन्होंने कहा,‘‘मेरा कोई एजेंडा नहीं था। मैं उस बात पर रोशनी डालना चाहता था जिसका मैं धुर समर्थक हूं और मैने सम्मानजनक तरीके से ऐसा किया। मैंने जूतों पर जो लिखा, उसके बारे में मैं लंबे समय से सोचता आया हूं। मैंने मजहब को इससे परे रखा। मैं मानवता के मसले पर बात कर रहा था।” (एजेंसी)