दिल्ली

Published: Aug 01, 2021 12:04 PM IST

Unnao Rape Caseउन्नाव दुष्कर्म पीड़िता संबंधी सड़क दुर्घटना मामलें में साजिश होने से अदालत ने किया इंकार, सीबीआई का जांच परिणाम बरकरार रखा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के उस परिणाम को बरकरार रखा है जिसमें उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता संबंधी 2019 सड़क हादसा मामले में किसी भी तरह की साजिश से इनकार किया गया है। उल्लेखनीय है कि 2019 में दुष्कर्म पीड़िता, उसके परिवार के सदस्य और वकील एक कार में सवार थे, तभी रायबरेली में तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी, जिसमें उसके दो रिश्तेदारों की मौत हो गयी और वह तथा उसका वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। 

इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और नौ अन्य के खिलाफ हत्या का एक मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता के परिवार ने दुर्घटना के पीछे ‘‘साजिश” का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज करायी थी। सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में उम्रकैद की सजा भी सुनायी गयी। सड़क दुर्घटना संबंधी आरोपों को खारिज करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि शिकायकर्ता पक्ष की आपत्ति एक रोमांचक कहानी की तरह थी, लेकिन यह महज अनुमान पर आधारित थी। 

उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा की गयी जांच की निष्ठा, सटीकता और ईमानदारी पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है और एजेंसी ने घटना की सच्चाई सामने रखी। जांच एजेंसी ने कहा कि प्राथमिकी में नामजद लोगों के बीच आपराधिक षडयंत्र रचने से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला। प्राथमिकी में कुलदीप सेंगर और ट्रक चालक या खलासी या ट्रक के मालिक को नामजद कराया गया। 

जांच को बरकरार रखते हुए न्यायाधीश ने 31 जुलाई को दिए आदेश में कहा, ‘‘मुझे सीबीआई के उन निष्कर्षों को आरोपपत्र में बरकरार रखने में कोई संकोच नहीं है कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता तो उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और धारा 307 (हत्या की कोशिश), धारा 120बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत दोष नहीं लगाया जा सकता।”

बहरहाल, सत्र न्यायाधीश ने लापरवाही के कारण हुई मौत और इंसान के जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य करने के लिए ट्रक चालक के खिलाफ आरोप तय किए। साथ ही सेंगर और उनके साथियों के खिलाफ आपराधिक धमकी के आरोप तय किए। इसके अलावा सेंगर को 2017 में नाबालिग से दुष्कर्म के एक अलग मामले में 20 दिसंबर 2019 को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी। चार मार्च 2020 को सेंगर, उसके भाई और पांच अन्य को बलात्कार पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के लिए भी दोषी ठहराया गया और उन्हें 10 साल की जेल की सजा सुनायी गयी। (एजेंसी)