राज्य

Published: Nov 27, 2023 05:48 PM IST

Hyderabad or Bhagyanagarआखिर क्यों चिढ़ती है हैदराबाद के नाम से भाजपा, एक बार फिर अलापा 'भाग्यनगर' का राग

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कांसेप्ट फोटो

हैदराबाद : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से देखा जाए तो अब चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। अब केवल एकमात्र राज्य तेलंगाना में विधानसभा का चुनाव बचा है। यहां पर 30 नवंबर को मतदान होगा। इसके पहले सारे राजनीतिक दल अपना पूरा जोर तेलंगाना में लगा रहे हैं। एक ओर जहां केसीआर अपनी सरकार की वापसी के लिए अपना सबकुछ झोंकने को तैयार हैं, तो वहीं कांग्रेस व भाजपा भी भारत राष्ट्र समिति की सरकार को वहां से उखाड़ने के लिए तरह तरह के ऐलान कर रही है। भाजपा के नेता यहां कि चुनाव में नाम बदलने का भी जुमला आजमा रहे हैं।

नाम में क्या रखा है। किसी चीज का नाम बदल देने से चीज तो नहीं बदल जाती। चीज हमेशा वही रहेगी। गुलाब को किसी भी नाम से पुकारो.. गुलाब तो गुलाब ही रहेगा।

विलियम शेक्सपियर

 

इन सबके बावजूद भी कुछ राजनीतिक दल नाम बदलने में अपने आप को माहिर मानने लगे हैं और उनको लगता है ऐसा करने से उन्हें राजनीतिक लाभ जरूर मिलेगा। इसीलिए पहले मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर’ इलाहाबाद का नाम ‘प्रयागराज’ फैजाबाद का नाम ‘अयोध्या’ कर दिया गया। इसके अलावा अन्य कई शहरों के नाम बदलने की कवायद उत्तर प्रदेश में भी जारी है। कुछ ऐसा ही अब के बाद तेलंगाना के भी चुनाव में हुआ है। मतदान के आखिरी चरण में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ने नाम बदलने की बात करके एक और चिंगारी भड़का दी है।

चारमीनार

भाजपा का दूसरा दाव 
पहले मडिगा समुदाय के लिए आरक्षण और अब हैदराबाद का नाम बदलने का कार्ड खेल दिया है, ताकि दलित व हिंदू वोटरों को अपनी ओर खींचा जा सके। ऐसा कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने मडिगा समुदाय के लिए अनुसूचित जाति आरक्षण में उप वर्गीकरण की प्रक्रिया में एक समिति के गठन करने के लिए कहा है। आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि पीएम मोदी ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। मडिगा समुदाय के लोग तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्य से ताल्लुक रखते हैं और इनकी अच्छी तादात है। इसीलिए भाजपा इनको साधना चाहती है। तेलंगाना मडिगा आरक्षण पोराटा समिति के प्रदेश अध्यक्ष वंगापल्ली श्रीनिवास ने कहा कि भाजपा मडिगा समुदाय के लोगों को वोट बैंक समझ रही है। संगठन बीआरएस का समर्थन कर रहा है। ऐसे में सारे वोटर किधर जाएंगे ये कहना मुश्किल है।

इसके अलावा भाजपा ने एक बार फिर से हैदराबाद के नाम को बदलने का राग अलापा है, ताकि वह कट्टर हिंदूवादी वोटरों को अपनी ओर खींचकर विधानसभा में विधायकों की संख्या बढ़ा सके। इसके लिए केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने 27 नवंबर को एक बार फिर कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो हैदराबाद का नाम बदलकर ‘भाग्यनगर’ कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तेलंगाना में अपनी चुनावी सभाओं में कहा है कि हैदराबाद का नाम भाग्यनगर और महबूबनगर का नाम पालामुरु कर देना चाहिए।  

तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी

‘‘भाजपा सरकार तेलंगाना में सत्ता में आई तो हैदराबाद का नाम बदल दिया जाएगा। मैं पूछता हूं कि हैदर कौन है..? क्या हैदर नाम की जरूरत है..? हैदर कहां से आया..? किसे हैदर की जरूरत है। भाजपा सत्ता में आई तो निश्चित रूप से हैदर नाम हटाकर शहर का नाम भाग्यनगर कर दिया जाएगा।''

जी. किशन रेड्डी, तेलंगाना BJP अध्यक्ष

जी. किशन रेड्डी ने याद दिलाया कि मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई भाजपा ने नहीं बल्कि द्रमुक सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि जब मद्रास का नाम चेन्नई, बंबई का नाम मुंबई, कलकत्ता का नाम कोलकाता और राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने में क्या परेशानी है..? अगर भाजपा सत्ता में आई तो हम वो सारी चीजें बदल देंगे, जिनसे गुलामी की मानसिकता झलकती है।” 

 

सांसद असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार 
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नाम बदलने का ख्वाब हमेशा ख्वाब ही रहेगा। भाजपा के लोग हैदराबाद से नफरत करते हैं। हैदराबाद हमारी पहचान का प्रतीक है। आप कैसे बदल देंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जब आते हैं तो ऐसा बोलकर नफरत की राजनीति करने की कोशिश करते हैं। 

 

ऐसी है कहानी 
एक लोकप्रिय चर्चा वाली कहानी बतायी जाती है, जिसमें सुल्तान ने शहर का नाम “भागनगर” या “भाग्यनगर” एक स्थानीय नाचने वाली लड़की भागमती के नाम पर रख दिया था। सुल्तान को भागमती के साथ प्यार हो गया था। बाद में भागमती ने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम बदल कर हैदर महल बन गयी। फिर सुल्तान उनके सम्मान में शहर का नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया था।

भाजपा समय समय पर इस तरह के बयान पहले भी दिया करती है। 2018 के विधानसभा व 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा उठाया गया था, लेकिन भाजपा को बहुत अधिक फायदा नहीं हुआ। 2018 में भाजपा 5 विधायकों से 1 विधायक पर आकर सिमट गयी थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में सांसदों की संख्या जरूर बढ़ गयी।

 

पहले भी बदले हैं नाम 
 आपको याद होगा कि स्वतंत्र भारत में 1950 में सबसे पहले पूर्वी पंजाब का नाम पंजाब रखा गया था। इसके बाद 1956 में हैदराबाद राज्य आंध्र प्रदेश हो गया था तथा 1959 में मध्य भारत से मध्य प्रदेश का नामकरण हुआ था। यह सिलसिला आगे भी चला रहा 1969 में मद्रास को तमिलनाडु बना दिया गया, जबकि 1973 में मैसूर से कर्नाटक हो गया।  इसके बाद पांडिचेरी को पुडुचेरी, उत्तरांचल को उत्तराखंड और 2011 में उड़ीसा को ओडिशा का नाम दिया गया। यह लिस्ट यहीं पर खत्म नहीं होती है। आगे भी जारी है। मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, शिमला, कानपुर, जबलपुर जैसे कई शहरों के भी नाम बदले हैं।