मध्य प्रदेश

Published: Oct 11, 2021 12:00 PM IST

Weird Newsइंजीनियर ने किया छुट्टी के आवेदन में मोहन 'भागवत-ओवैसी' का जिक्र, CEO ने भी अपने जवाब से किया 'लाजवाब'

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Pic: ANI

भोपाल. एक बड़ी ही रोचक खबर के अनुसार, मध्य प्रदेश में कार्यरत एक सहायक इंजीनियर ने बड़े ही अजब-गजब तरीके से छुट्टी मांगते हुए अपने विभाग प्रमुख को पत्र लिखा है। लेकिन अब इस पत्र में जो बातें उन्होंने लिखी हैं, उसकी अब सर्वत्र चर्चा हो रही है। दरअसल सहायक इंजीनियर ने लिखा है कि मेरी आत्मा अमर है, अब इसका मुझे पूरा आभास हो चुका है। अब मुझे मेरे पिछले जन्म का आभास भी हो चुका है। मैं अब गीता पाठ करना चाहता हूं। अपने अंदर का मुझे अहंकार मिटाना है, इसलिए में अब घर-घर भीख मांगूगा। ये बातें चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

दरअसल उक्त सब-इंजीनियर का नाम राजकुमार यादव है। अरविंद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अगर मालवा (Agar Malwa) के सुसनेर पंचायत में उपयंत्री पद पर कार्यरत है। इन्ही राजकुमार यादव (Rajkumar Yadav) ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी को छुट्टी के लिए पत्र लिखा है। राजकुमार यादव ने हर रविवार को किसी भी तरह से कार्य स्थल पर उपस्थित नहीं हो पाने की भी जानकारी दी है। 

क्या लिखा है पत्र में 

राजकुमार ने अपने इस अनूठे पत्र में लिखा कि- ‘मैं रविवार को जनपद के लिए किसी कार्य में उपस्थित नहीं हो पाऊंगा क्योंकि मुझे कुछ दिन पहले ही आभास हुआ है कि आत्मा अमर होती है। मुझे अपने पिछले जन्म का भी आभास हुआ है। असदुद्दीन ओवैसी मेरे पिछले जन्म के सखा नकुल थे और मोहन भागवत शकुनी मामा। इसलिए मैं अपने जीवन को जानने के लिए गीता पाठ करना चाहता हूं। मैं प्रत्येक रविवार के दिन अपने अंदर के अहंकार को मिटाने के लिए एक गेहूं का दाना घर-घर जाकर भीख मांग कर इकठ्ठा करूँगा। अब ये मेरी आत्मा का सवाल है। मैं समझता हूं कि आप मुझे प्रत्येक रविवार की छुट्टी देने की कृपा करेंगे।’ अब सब इंजीनियर का ये पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है।

CEO ने उसी भाषा में दिया जवाब 

इधर इंजीनियर द्वारा लिखी लीव एप्लीकेशन को पढ़ने के बाद अब सुसनेर जनपद पंचायत के CEO ने उसी अंदाज में ही अपना जवाब दे दिया। अब इसके साथ ही इन CEO साहब का जवाब भी पत्र के साथ ही तेजी से वायरल हो रहा है। इसके जवाब देते हुए CEO ने लिखा है। “प्रिय उपयंत्री, आप अपना अहंकार मिटाना चाहते हैं, यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है। इसमें हमारा अकिंचन सहयोग भी साधक हो सकता है, यह विचार ही हमारे मन में हर्ष उत्पन्न करता है। व्यक्ति प्रायः अहंकार से वशीभूत होकर यह सोचता है कि वह अपने रविवार को अपनी इच्छा से बिता सकता है।

इस अहंकार को इसके बीजरूप में नष्ट करना आपकी उन्नति के लिए बहुत ही अपरिहार्य है। अतः आपकी आत्मिक उन्नति की अभिलाषा को दृष्टिगत रखते हुए अब आपको आदेशित किया जाता है कि आप प्रत्येक रविवार कार्यालय में उपस्थित रहकर कार्य करें, जिससे रविवार को अवकाश मनाने के आपके इस छद्म अहंकार का नाश हो सके। आपकी आत्मिक उन्नति में साधक बनने की प्रसन्नता के साथ। आपका पराग पंथी, CEO सुसनेर।”