अकोला

Published: Jun 11, 2022 10:55 PM IST

Anti Child Labor Day'कोरोना वायरस से बच्चों की रक्षा', इस वर्ष के बाल श्रम विरोधी दिवस की थीम

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Representational Pic

अकोला. हालांकि 12 जून को हर साल विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन स्थिति वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए. क्यों कि इस साल कोरोना महामारी से बाल मजदूरी की समस्या विकराल हो गई है. इस वर्ष के बाल श्रम विरोधी दिवस की थीम ‘कोरोना वायरस से बच्चों की रक्षा’ है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 19 साल पहले 12 जून, 2002 को विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस को चिह्नित करने के लिए पहल की थी. इसका उद्देश्य 14 वर्ष से कम उम्र के बाल श्रम को समाप्त करना और उन बच्चों को शिक्षा का अधिकार देना है. बच्चों को उनका बचपन प्राप्त करने में मदद करने के लिए कई संगठन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. आज भी दुनिया में बाल श्रमिक बड़े पैमाने पर है, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों और अन्य पिछड़े देशों में. हालांकि इन देशों में बाल श्रम विरोधी कानून बनाए गए हैं, लेकिन बाल श्रमिकों की संख्या में संतोषजनक कमी नहीं आई है.

बाल श्रम विरोधी दिवस दुनिया भर के सरकारी संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, ट्रेड यूनियनों, नागरिक समाज संगठनों के माध्यम से बाल श्रमिकों की संख्या को कम करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करता है. हालांकि, इसे सटीक आउटपुट नहीं मिला है. इस साल इस दिन पर कोरोना महामारी का संकट है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने बच्चों की समस्या के समाधान के लिए पहल की है. भारत में भी, यूनिसेफ इंडिया एक संयुक्त राष्ट्र संगठन है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, दुनिया में 152 दशलक्ष बाल मजदूर हैं, जिनमें से 7.3 प्रश भारत में हैं. संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य 2025 तक बाल श्रम को खत्म करना है. कोविड से कई मौतें हुईं है. नतीजतन, दुनिया भर में लाखों बच्चे अनाथ हो गए हैं. यह संकट बाल तस्करी, वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी को जन्म दे सकता है. 

बाल श्रम का अनुपात बढ़ रहा है

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनिसेफ के अनुसार 2020 तक बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर 8.4 दशलक्ष हो गयी है. सन 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में लाखों की संख्या में बच्चे शिक्षा से वंचित थे. राज्य सरकार ने स्कूल न जाने वाले बच्चों की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए 2015 में एक सर्वेक्षण किया और पाया कि राज्य में 74 हजार बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. जहां लड़कों को स्कूल से बाहर होने पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, वहीं लड़कियों की शादी करवा दी जाती है. जिससे बच्चों की शिक्षा और विकास का असली मुद्दा आज के बाल श्रम विरोधी दिवस पर उपस्थित हो रहा है.