अकोला

Published: Apr 16, 2024 12:34 PM IST

Akola Lok Sabha20 साल बाद अकोला में हिल रही है भाजपा की 'कुर्सी', बाप से नाराजगी बेटे पर पड़ सकती है भारी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
अकोला लोकसभा चुनाव 2024 (डिजाइन फोटो)

नागपुर : महाराष्ट्र (Maharashtra Politics) के विदर्भ इलाके की अकोला संसदीय सीट (Akola) 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बहुत ही आसानी से जीत ली थी, लेकिन अबकी बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। पिछले चार चुनाव से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी संजय धोत्रे (Sanjay Dhotre) यहां बड़े आसानी से जीते थे, लेकिन अबकी बार जब उनके बेटे चुनाव मैदान में उतरे हैं, तो उनको कड़े मुकाबले से जूझना पड़ रहा है। इसके पीछे कुछ खास कारण गिनाए जा रहे हैं।

1984 के पहले कांग्रेस का गढ़ रही अकोला संसदीय सीट पर पहली बार 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने खाता खोला था। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीन चुनाव जीते। 1998-99 के दो चुनाव प्रकाश आंबेडकर ने अलग-अलग दलों के साथ रहकर जीता था, लेकिन 2004 में फिर भारतीय जनता पार्टी की वापसी हुई और तब से लेकर लगातार यह सीट भारतीय जनता पार्टी की झोली में ही जा रही है।

आपको बता दें कि अकोला संसदीय सीट पर कांग्रेस पार्टी का लंबे समय तक कब्जा रहा है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, इसी के चलते 1984 तक यहां सारे चुनाव कांग्रेस पार्टी ही जीती रही है। आपको याद होगा कि 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 50% फ़ीसदी वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर प्रकाश आंबेडकर थे और उन्हें केवल 25 फ़ीसदी वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को करीब 23 प्रतिशत मत मिले थे।

अबकी बार राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी पिछले रिकार्ड को दोहरा नहीं पाएंगी। इसलिए माना जा रहा है कि अबकी बार मुकाबला त्रिकोणीय होगा। प्रकाश आंबेडकर ने भी महा विकास अघाड़ी से गठबंधन की नाकाम कोशिश के बाद मैदान में ताल ठोंक दिया है। इसकी वजह से मामला काफी दिलचस्प होते दिखाई दे रहा है।

अनूप धोत्रे-संजय धोत्रे (डिजाइन फोटो)

वहीं एक ऐसी भी बात कही जा रही है कि लगातार चार बार सांसद रहे संजय धोत्रे के खिलाफ अब धीरे-धीरे जनता में नाराजगी पनपने लगी है। इसीलिए उन्होंने अपनी जगह अपने बेटे को उतारने की पैरवी की और पार्टी आला कमान ने उनकी यह बात मान ली।

आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले संजय धोत्रे के बेटे अनूप धोत्रे से लोगों ने पूछा भी था कि इतने दिनों तक आपके पिताजी कहां थे और अब आप वोट मांगने के लिए आए हैं। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल होने लगा था।

आपको बता दें कि अकोला संसदीय सीट में छह विधानसभाएं आती हैं, जिसमें से वर्तमान समय में चार सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, जबकि एक सीट पर कांग्रेस पार्टी और एक सीट पर शिवसेना उद्धव बाल ठाकरे गुट का कब्जा है। ऐसे में यह सीट आंकड़ों के हिसाब से भारतीय जनता पार्टी की मजबूत पकड़ वाली बताई जा रही है, लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में राजनीतिक समीकरण बदले हैं, उसके हिसाब से अबकी बार चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है।

माना यही जा रहा है कि अबकी बार लड़ाई त्रिकोणात्मक होगी और भारतीय जनता पार्टी को जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। ऐसा कहा जाता है कि 18 लाख 65 हजार मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। यहां ये दोनों मतदाता निर्णायक साबित होते हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति के लोग भी अगर किसी एक दल के पक्ष में मतदान करते हैं, तो मुकाबला काफी कांटेदार हो सकता है।