अकोला

Published: Nov 11, 2021 10:22 PM IST

ST Strikeएसटी की संपत्ति हड़पने की साजिश, भाजपा जिलाध्यक्ष रणधीर सावरकर का आरोप

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

अकोला. राज्य सरकार ने अब एसटी कर्मचारियों को उपेक्षित नागरिकों, किसानों, उत्पीड़ित महिलाओं, छात्रों और भर्ती के ड्रामे में फंसे उम्मीदवारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है. एसटी के कर्मचारियों के साथ ठगी का नया खेल खेला जा रहा है. समय पर वेतन न मिलने के कारण पहले ही एसटी कर्मियों के परिवार को परेशानी हो रही थी, इसके बावजूद आघाड़ी सरकार ने हड़ताल करनेवाले कर्मचारियों को निलंबित कर उनके घावों पर नमक छिड़कने का कार्य किया है.

लेकिन बीजेपी अब एसटी कर्मियों के साथ पूरे राज्य में सरकार से लड़ने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी, यह घोषणा एक निवेदन के माध्यम से जिला भाजपाध्यक्ष, विधायक रणधीर सावरकर और महानगराध्यक्ष विजय अग्रवाल ने की है. पंजाब के एक हिस्से में और दिल्ली की सीमा पर, केंद्र सरकार और किसानों के प्रति सहानुभूति दिखाने वाली ठाकरे सरकार, एसटी महामंडल के 30 से अधिक कर्मचारियों द्वारा की गई आत्महत्याओं से दुखी नहीं है, यह आरोपी भी विधायक रणधीर सावरकर और विजय अग्रवाल ने किया. 

30 से अधिक कर्मियों ने दी जान 

ग्रामीण महाराष्ट्र की जीवन रेखा एसटी महामंडल के कर्मचारियों ने केवल ‘बहुजन हिताय’ की भावना से अल्प वेतन पर लोगों की सेवा करते हुए पारिवारिक समस्याओं की परवाह नहीं की है. एसटी महामंडल की लापरवाही के कारण समय पर वेतन नहीं मिलने से विभिन्न डिपो में 30 से अधिक कर्मचारियों ने डिप्रेशन में अपनी जान दे दी हैं. हालांकि, ठाकरे सरकार ने इस पर साधारण संज्ञान भी नहीं लिया है. इसके उलट अब कर्मचारियों भय और दहशत का माहौल है कि पुलिस ने हड़ताल खत्म करने के लिए बल प्रयोग कर दमन का सहारा लिया है, यह आरोप भी उन्होंने किया. 

सरकार ने की कर्मियों के सेवाओं की उपेक्षा

विधायक रणधीर सावरकर और  विजय अग्रवाल ने कहा कि कोरोना जैसे संकट के समय में राज्य सरकार ने एसटी कर्मचारियों द्वारा दी गई सेवाओं की उपेक्षा की है. एसटी कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने वाली ठाकरे सरकार समय पर उनके बकाया का भुगतान नहीं करती है.

एसटी कर्मियों ने मांग की कि एसटी महामंडल का सरकार में विलय किया जाए और सरकारी कर्मचारियों के अधिकार एसटी कर्मचारियों को दिए जाएं क्योंकि कर्मचारी एसटी महामंडल की आर्थिक बदहाली की चपेट में आ रहा हैं. सरकार की चाल है कि एसटी महामंडल पर और दबाव बनाकर एसटी की करोड़ों की संपत्ति का निजीकरण कर दिया जाए. इसलिए गरीब कर्मचारियों की आत्महत्या के लिए सरकार जिम्मेदार है, यह आरोपी भी विधायक रणधीर सावरकर और विजय अग्रवाल ने किया.