अकोला

Published: May 14, 2021 09:31 PM IST

Oxygen Crisisजिले में शीघ्र होगा और 6 ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण, अतिरिक्त 313 ऑक्सीजन बेड भी उपलब्ध

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
प्रतीकात्मक तस्वीर

अकोला. कोरोना वायरस की दूसरी लहर जिले में कोरोना रोगियों की संख्या में वृद्धि कर रही है, जिससे सरकारी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में कोविड उपचार सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है. जिससे जिला प्रशासन ने पालकमंत्री बच्चू कडू के मार्गदर्शन में नियोजन कर कोविड उपचार के लिए गामीत्र क्षेत्र में 313 ऑक्सीजन बेड व ग्रामीण अस्पताल में 4 तथा जीएमसी व सर्वोपचार अस्पताल में 2 इस तरह 6 ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण सहित अन्य उपचार सुविधा निर्मित की जा रही है.

ग्रामीण क्षेत्र के कोविड मरीजों ने स्थानीय अस्पतालों में उपचार का लाभ लें यह आहवान पालकमंत्री बच्चू कडू ने किया है. वे कोविड 19 के संदर्भ में आयोजित समीक्षा बैठक में बोल रहे थे. ग्रामीण अस्पताल में इलाज की सुविधा स्थापित करने के लिए क्षेत्र के मरीजों को आवश्यक सुविधाएं, चिकित्सा अधिकारी और नर्सिंग स्टाफ उपलब्ध कराने के निर्देश ग्रामीण अस्पताल को दिए गए.

तदनुसार, अकोट में 20, तेल्हारा में 20, बार्शीटाकली में 20, बालापुर में 20, मुर्तिजापुर में 48, जिला महिला अस्पताल में 50, जि.प. कर्मचारी भवन में 35 और पंजाबराव देशमुख विश्वविद्यालय के जंबो अस्पताल में 100 ऑक्सीजन बेड उपलब्ध कराए गए हैं. बिना ऑक्सीजन वाले बेड चालू कर दिए गए हैं और ये सुविधाएं अगले 15 दिनों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध हो जाएंगी.

अकोट, तेल्हारा, बार्शीटाकली और बालापुर प्रत्येक में 10, मुर्तिजापुर में 50 और जिला परिषद कर्मचारी भवन में 15 बेड इस तरह कुल 105 बिना ऑक्सीजन वाले बेड उपलब्ध होंगे. इसी तरह कृउबास अकोट में 50 व खेड़कर महिला छात्रागृह तेल्हारा में 50 बेड की व्यवस्था आनेवाले 15 दिनों के भीतर पूरी होगी, यह जानकारी जिला शल्य चिकित्सक डा.राजकुमार चौहान ने दी है.

दिए गए निर्देशो के अनुसार उपलब्ध की जानकारी उपचार सुविधा, ऑक्सीजन बेड के संदर्भ में पालकमंत्री ने समाधान प्रकट किया. इस सुविधा से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इलाज के लिए शहर आने के बजाय नजदीकी ग्रामीण अस्पताल में इलाज कर पाएंगे. लोगों को नजदीकी अस्पताल में इलाज कराना चाहिए, यह आहवान पालकमंत्री कडू ने इस अवसर पर किया. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता होती है, तो उन्हें बाद में सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित किया जा सकता है.