अकोला

Published: Jun 12, 2022 11:23 PM IST

Childrenबच्चों में सुप्त गुणों की पहचान कर उनका विकास करें!

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
प्रतीकात्मक तस्वीर

अकोला. अपना बेटा या बेटी दिव्यांग होने के लिए भाग्य को दोष न दें, माता-पिता की जिम्मेदारी बच्चों की परवरिश तक सीमित नहीं है, हर बच्चे में कुछ छिपे हुए गुप्त गुण होते हैं, अपने बच्चों में सुप्त गुणों की पहचान कर उनका विकास करें, यह आहवान पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की शिष्य मशहूर बांसुरी वादक कृतिका जंगिनमठ ने किया. वह रविवार को दिव्यांग फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के लिए अकोला में थीं. इस बीच बातचीत के दौरान उन्होंने यह आहवान किया. 

संगीत के क्षेत्र में अब तक के अपने सफर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जब वह ढाई साल की थीं, तब उन्होंने गांव के एक मंदिर में किसी को हारमोनियम बजाते देखा था. तसी से उनके मन में संगीत के प्रति रूचि निर्माण हुई. उसके बाद उन्होंने कर्नाटक के शिवशरण हरलिया ब्लाइंड स्कूल बीजापुर में संगीत की शिक्षा ली. इसके बाद पंडित हरिप्रसाद चौरसिया से संगीत की शिक्षा लेने के बाद, उन्होंने बांसुरी में अपना करियर बनाने का फैसला किया. कृतिका ने एम.ए. तक की शिक्षा हासिल की है और वह वर्तमान में संगीत में पीएचडी कर रही है. उनकी मां पद्मावती ने हर कदम पर उनका साथ दिया है.

मात्र 24 साल की उम्र में कृतिका जंगिनमठ निवासी विजापुर, कर्नाटक की बांसुरी वादक ने समंदर पार अपना नाम ऊंचा किया है. मां अलावा कृतिका की सफलता में उनके पिता वीरेश्वर जंगिनमठ, दादी राधा मलकसमुद्रा और दादा राजशेखर मलकसमुद्रा का भी अहम योगदान रहा है. वह मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़ और संस्कृत में धाराप्रवाह है. उन्होंने अकोला, मुंबई, हैदराबाद, सोलापुर आदि स्थानों पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में उपस्थिति दर्ज की है.

दिव्यांग फाउंडेशन के कार्य प्रेरणादायी

कृतिका का कहना है कि दिव्यांग फाउंडेशन के प्रो. विशाल कोरडे का कार्य प्रेरणादायी है. उन्होंने कई विकलांग लोगों को अपनी पहचान बनाने में मदद की है. इसके अलावा दिव्यांग बंधुओं का दिव्यांग फाउंडेशन के माध्यम से पुनर्वास उल्लेखनीय है.

विश्वास को विकसित कर सफलता प्राप्त की जा सकती है

आपदाएं हर किसी के जीवन में होती हैं. लेकिन उन संकटों का सामना सभी को करना पड़ता है. अन्यथा आप जीवित नहीं रह सकते. अपंग भाई-बहनों के जीवन में भी जन्म से ही मुसीबतों का पहाड़ बना रहता है. लेकिन अगर हम दृढ़ रहें, तो हमें इस विश्वास को विकसित करना चाहिए कि हम आम आदमी की तुलना में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं. कृतिका ने यह संदेश भी दिया है कि आप जिस क्षेत्र को पसंद करते हैं उसे चुनें और उस क्षेत्र में अपनी खुद की पहचान बनाएं.