अकोला

Published: Sep 05, 2022 09:54 PM IST

Crop Damageमूंग, उड़द और तुअर की फसलें हुई खराब, कपास पर भी बोंड इल्ली का संक्रमण

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

अकोला. अत्यधिक बारिश के कारण खरीफ फसलों का भारी नुकसान हुआ है. मुख्य रूप से मूंग, उड़द और तुअर की फसलें खराब हो गयी हैं. इसी तरह कपास की फसल पर बोंड इल्ली का संक्रमण देखा जा रहा है. सोयाबीन की फसल पर भी कुछ क्षेत्रों में कीटकों का संक्रमण हैं फिर भी सोयाबीन की फसल ठीक कही जा सकती है.

कुछ स्थानों पर सोयाबीन की फसल भी अत्यधिक बारिश के कारण पीली पड़ जाने से किसानों का नुकसान हुआ है. फिर भी अब किसानों का दारोमदार सोयाबीन की फसल पर ही अधिक दिखाई दे रहा है. इस वर्ष जून, जुलाई माह के शुरूवात में ही जिले के कुछ स्थानों में बहुत अधिक बारिश होने से खरीफ फसलों को हानि पहुंची थी. इसके बाद स्थिति नहीं सुधरी है. 

उत्पादन खर्च भी मुश्किल

जिले के किसानों ने फसल कर्ज लेकर किसी तरह खरीफ फसलों की बुआई की थी. मूंग और उड़द की फसल परंपरागत फसल मानी जाती है. इस बार किसानों की यह परिस्थिति है कि मूंग और उड़द की फसलों का उत्पादन खर्च निकालना भी मुश्किल दिखाई दे रहा है. इस बात को लेकर किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं. इस बारे में किसानों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि मूंग, उड़द की फसलों पर कीट प्रतिबंधक छिड़काव किया गया था पर बारिश के कारण उसका असर नहीं हो सका.

जानकारी के अनुसार यहां पर मूंग की बुआई का करीब 22,270 हेक्टेयर क्षेत्र है लेकिन 14,102 हेक्टेयर क्षेत्र पर ही मूंग की बुआई की गयी. इसी तरह उड़द की बुआई का 16,408 हेक्टेयर क्षेत्र है उस तुलना में 10,418 हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द की बुआई हुई है. इस तरह उड़द और मूंग की बुआई का क्षेत्र ही घटा है. उस पर अब यह दोनों फसलें ही खराब हो चुकी हैं. जून माह के अंत में मूंग और उड़द की बुआई की गयी थी. उसके बाद जुलाई माह में लगातार हुई अत्यधिक बारिश के कारण इन फसलों के पौधों की वृद्धि ही रूक गयी थी. इस कारण इन फसलों की हानि हुई है. 

फसलों पर छिड़काव शुरू

इस बारे में बातचीत करने पर स्थानीय किसान दीपेश तिवारी ने बताया कि इस समय कपास की फसल की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. कपास की फसल पर बोंड इल्ली का संक्रमण बढ़ रहा है. इसी तरह सोयाबीन की फसल पर भी कीटकों का संक्रमण देखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि रोग प्रतिबंधक छिड़काव भी काफी महंगे हो गए हैं. फिर भी किसानों द्वारा जहां जरूरत है वहां फसलों पर कीटक नाशकों का छिड़काव किया जा रहा है. इसी तरह इस समय खेतों में नींदन (घांस निकालने का) काम लगातार शुरू है. 

किसानों का ध्यान नुकसान भरपाई की तरफ लगा

जिले में करीब 80 हजार हेक्टेयर के लगभग क्षेत्र में अत्यधिक बारिश के कारण किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है. इस बारे में पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन द्वारा सरकार के पास भेज दी गयी है. किसानों को अब मदद का इंतजार है. किसान रास्ता देख रहे हैं कि कब किसानों को नुकसान भरपाई के रूप में सरकार से आर्थिक मदद मिलती है.