अकोला
Published: Mar 04, 2023 10:09 PM ISTKatepurna Projectजल प्रबंधन में बदलाव की आवश्यकता, सूक्ष्म सिंचाई को प्राथमिकता दी जाए तो लाभदायक
अकोला. इस क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण के बाद कई वर्ष बीत चुके हैं. जिससे अब यह देखने की आवश्यकता है कि उन परियोजनाओं की क्षमता के अनुसार सिंचाई हो रही है या नहीं. विशेषज्ञों की राय है कि अगर बदलाव को स्वीकार नहीं किया गया तो यह प्रभावी नहीं होगा. जहां एक तरफ माहौल में बदलाव आया वहीं क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाया गया है.
इसलिए यह विषय भी महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि इन परियोजनाओं के माध्यम से शहरी, ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है. काटेपूर्णा परियोजना का उदाहरण इसके लिए उपयुक्त है. काटेपूर्णा परियोजना की रजत जयंती तब मनाई गई जब विलासराव देशमुख राज्य के मुख्यमंत्री थे. कहीं-कहीं जलपूजा के कार्यक्रम भी होते हैं लेकिन उसके साथ-साथ असली सवाल यह है कि क्या परियोजनाओं की सिंचाई क्षमता, दिन-ब-दिन बदलाव को स्वीकार करने की मानसिकता है. क्योंकि पानी का उलीचन लगातार हो रहा है. इसी तरह परियोजना में कीचड़ भी जमा हो जाता है, जिसका असर तो होता ही है.
प्रत्येक परियोजना क्षेत्र में परिवर्तन देखा जाता है, इसलिए स्थिति का अध्ययन करना चाहिए और जल प्रबंधन में परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए. परियोजनाओं की स्थिति, सिंचाई क्षमता की जांच कर यह भी विचार किया जाता है कि क्या गैर-सिंचाई की मात्रा को कम किया जा सकता है. काटेपूर्णा परियोजना पर लाभार्थी किसानों की सोच भी सही है. जल संसाधन विभाग को जल प्रबंधन को सशक्त करने के लिए रणनीतिक निर्णय लेना जरूरी है, यह विचार सामने आ रहे हैं.
सूक्ष्म सिंचाई को प्राथमिकता
यदि राज्य में परियोजनाओं पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जाता है तो परियोजना पर पानी की बचत की जा सकती है. बेकार पानी, सड़क से बहने वाले पानी, नाली में बहने वाले पानी को बचाया जा सकता है. जो फसलें, खेत खराब हो रही है बर्बाद होने वाले पानी से उन्हें सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से बचाया जा सकेगा. इससे किसानों के साथ-साथ जल संसाधन विभाग को भी फायदा हो सकता है.
जल प्रबंधन को दिशा देनी होगी
कुल मिलाकर जल प्रबंधन को एक नई दिशा देने की जरूरत है. उसके लिए जरूरी हो गया है कि नई तकनीक को अपनाया जाए, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के इस्तेमाल पर जोर दिया जाए. परियोजनाओं पर गैर-सिंचाई का उपयोग दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. सिंचाई का हिस्सा घट रहा है. किसान नई जल उपयोग तकनीकों, औजारों और सामग्रियों के माध्यम से लाभ क्षेत्र के बाहर के क्षेत्रों के साथ-साथ परियोजना के लाभ क्षेत्र के भीतर के क्षेत्रों की सिंचाई कर रहे हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार के लिए यह आवश्यक है कि परियोजना पर पानी की उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य में परियोजनाओं पर सिंचाई के लिए एक नई योजना लागू की जाए.
मनोज तायड़े (अध्यक्ष-काटेपूर्णा प्रकल्प समिति)