अमरावती

Published: Mar 23, 2021 11:18 PM IST

आफतसप्ताहभर से बेमौसम बारिश की झड़ी बनी बैरन, आसमानी संकट से कराह उठे किसान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

अमरावती. कोरोना महामारी के बीच अब आसमानी संकट से किसान कराह उठे है. बेमौसम बारिश ने झड़ी लगी दी है. ग्रीष्मऋतु में गर्मी शुरू रहते 17 मार्च से शुरू हुई यह बेमौसम बारिश मंगलवार को भी कायम रही. सुबह से दिनभर रिमझिम बारिश के कारण बदरिले मौसम से गर्मी छूमंतर हो गई. खेती-किसानी पर आफत बनी यह बारिश खरीफ का सत्यानाश करने के बाद अब रबी के पीछे पड़ गई है. गेहूं, चना, मक्का, प्याज, पपीता, तरबूज, संतरा व आम और साग-सब्जियां इस बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ते जा रहे है.

यह देखकर किसानों की आंखों से आंसू बरसने लगे है. मौसम विभाग ने अगले दो-तीन दिन बारिश होने की आशंका जताई है. संभागीय राजस्व आयुक्तालय ने मंत्रालय भेजी रिपोर्ट के अनुसार 17 से 21 मार्च तक बेमौसम बारिश ने कुल 32,179 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें तबाह कर दी है. उसके बाद भी बारिश बैरन बनी किसानों पर आफत बकर बरसती जा रही है.  

संतरा: 75 प्रश दें राहत

पिछले पांच-छह वर्षों से निरंतर विभिन्न संकटों के कारण किसान पहले ही वित्तीय संकट में है. हर साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं, चना और संतरे को काफी नुकसान हो रहा है. सरकार द्वारा नुकसान का सर्वेक्षण कर किसानों को मदद भी दी जाती है, लेकिन यह मदद अपर्याप्त है, इसलिए किसानों को पूरे साल खेती करने की चिंता होती है. इसलिए, खेत का लागत खर्च व फसल का अपेक्षित मूल्य में तालमेल रख किसानों कम से कम 75 सहायता प्रतिशत प्रदान की जानी चाहिए. यह राहत 3 चरणों में दी गई तो भी चलेगा. – नवीनकुमार पेठे, संतरा उत्पादक 

सब्जियां: किसानों पर दोहरी मार

बेमौसम बारिश के कारण अचलपुर क्षेत्र में हजारों सब्जी किसानों का बड़े पैमाने में नुकसान हुआ है. जिसमें पत्ता गोभी, पालक, मेथी, प्याज, टमाटर आदि सब्जियों का भारी नुकसान हुआ है. किसान फिर एक बार परेशान हो गए है. जहां सब्जियों की सही कीमत नहीं मिल पा रही है, वहीं इस तरह आसमानी आफत से किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है.- सुनील गनगने, मालीपुरा, अचलपुर

आंवला : बार मट्टीपलीत

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से संतरे की फसल के साथ ही आवला फसल का भी जबरदस्त नुकसान हुआ है. 30 से 40 प्रतिशत आंवले के पेड़ से बार, पत्तियां झड़ चुकी है. इस वर्ष 4 से 5 लाख का उत्पादन अपेक्षित था. लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से अब लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है.-सर्वेश राठी, आंवला उत्पादक, शिरजगांव कसबा

प्याज: लागत निकलना भी मुश्किल

शनिवार को हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि में प्याज़ की फसल बर्बाद हो चुकी है. 2 एकड़ प्याज़ की फसल में 80 हज़ार रुपए से अधिक का खर्च हो चुका है, लेकिन अब वह लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है. लगातार हम किसानों पर मुसीबत के पहाड़ टूट रहे है. प्रशासन जल्द से जल्द सर्वे कर मुआवजा दें.-आशिष उमक, किसान, शिरजगांव कसबा

सरकार करें मदद

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों की उत्पादकता पहले ही कम हो गई है. प्रति वर्ष बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों की जान बचाना है तो सरकार को कुछ वर्ष विकास कार्यों को छोड़ किसानों के साथ गंभीरता से खड़े रहकर पर्याप्त मदद करने की आवश्यकता है. ताकि किसानों को राहत मिलेगी तथा आत्महत्या जैसे निर्णय नहीं लिए जाएंगे. हाल के दिनों में युवा किसानों के आत्महत्या की संख्या बढ़ रही है. जिस पर अंकुश लगाने पर्याप्त सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है. -विनोद चिखले, किसान, मोर्शी

पिछले 5 वर्षों में ओलावृष्टि में वृद्धि

गर्मियों की शुरुआत में हर साल होने वाली बेमौसम बारिश कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले 5 वर्षों में जलवायु परिवर्तन से ओलावृष्टि में वृद्धि हुई है. मंगलवार 23 मार्च से बारिश थमकर तापमान में बढ़ोतरी होगी.- डा. अनिल बंड, मौसम विशेषज्ञ