अमरावती

Published: Dec 19, 2020 11:07 PM IST

अमरावतीमेलघाट सागवान तस्करी अब तक अनसुलझी, प्रशासन वेट ऐन्ड वॉच कि भुमीका में

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

धारणी. मेलघाट क्षेत्र जो की घनघोर वनसंपदा से लैस तथा सौंदर्य दृष्टि से परिपूर्ण माना जाता है. लेकिन बिते कुछ माह पहले सुसर्दा वनपरीक्षेत्र के  अवैध प्रवेश कर तस्करो ने जंगलो से बेशकिमती सागवान के पेड़ो की अवैध काटाई कर लाखों रुपयो की सागवान तस्करी कर विभाग के कामकाज पर सवालिया निशान लगा दिया. इस घटना ने जहां समूचे वनविभाग को अचरज में डाल दिया, तो वहीं वन प्रेमियों मे खलबली मच गई. 

वन तस्करी की इस बडी घटना को लेकर सुसर्दा  वनपरीक्षेत्र की और से तस्करों को हिरासत मे लेने का दावा संबंधीत प्रशासन द्वारा किया गया था लेकिन इस मामले को आज कई माह बित जाने के बाद भी जंगलो से अवैध कटाई करने वाले तस्कर आज भी विभाग की गिरफ्त से कोसों दूर नजर आ रहें है.  वनविभाग का वनतस्करो को जल्द गिरफ्त मे लेने कि बात केवल एक जुमला साबीत होने से ईस प्रकरण को लेकर वनप्रेमियो मे वनविभाग के प्रति गहरी नाराजगी व्यप्त की जा रही. 

तस्करी में उलझे कई राज

बिते कुछ माह पहले  सुसर्दा  वनपरीक्षेत्र मे हुई अवैध सागवान पेड़ो की कटाई और तस्करी के मामले की जांच जहा गुलदस्ते मे नजर आ रही,वही सूत्रो के मुताबिक सागवान पेड़ो कि कटाई तथा तस्करी मे कही राज उलझे रहने के कारण इस मामले को वनविभाग कछुआ गति से चला रहा है|सुत्रो के मुताबीक यह तस्करी के तार निश्चितरुप से सुसर्दा वनपरीक्षेत्र के अधिकारी तथा कर्मचारी तक पहोचते है, इसीके चलते वनविभाग स्वयं कि चौकशी कर स्वंयम को दोषी ठहराना नही चाहता ऐसी भी चर्चा मेलघाट की गलीयारो मे सुर्खीया बटौर रही है.अब देखना होंगा ईस मामले मे कब दुध का दुध पानी का पानी होता है|

जंगलों की सुरक्षा पर करोड़ों का खर्च

मेलघाट मे पर्यावरण का विशेष बोलबाला रहा है, जंगलो की सुरक्षा पर सालाना करोडो रुपये खर्च किये जा रहे है. लेकिन जंगल की हिफाजत मे कोई सुधार मेलघाट मे अब तक तो दिखाई नहीं दिया यह विशेष, सागवान, वन उपज, सहित विभिन्न प्रकार की तस्करी को तस्कर अंजाम देते आ रहे हैं. जिनमे कुछ मामले उजागर हुए तो कुछ मामले विभाग की उदासीनता तो कुछ भ्रष्ट प्रणाली की भेट चढ़ गया. आज भी यहां का जंगल अपनी सुरक्षा के प्रति पिछड़ा ही नजर आ रहा है जिसका जिता जागता उदाहरण सुसर्दा  वनपरीक्षेत्र मे हुई अवैध सागवान कटाई हैं. 

मुख्यालय पर नहीं रहते वनकर्मी

मेलघाट के जंगलों में हमेशा देखने में आया है कि, कर्तव्य पर तैनात किए गए वनकर्मी अपने मुख्यालय छोड़कर अन्य स्थानों पर निवास करते है.जिस वनकर्मी की जहां ड्यूटी लगाई गई वो उस स्थान पर पाया नहीं जाता, जिसके चलते सुसर्दा जैसी तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है. खुलेआम मशीनों द्वारा जंगलों में पेड़ों की कटाई कैसे हो गई ,और वनविभाग के नाक के नीचे तस्करो ने बेश कीमती सागवान पेड़ो की तस्करी को अंजाम दे डाला. यहां पर्यावरण प्रेमियो की द्वारा इस तस्करी को लेकर तरह तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं.  

सही दिशा में कार्रवाई 

हम इस मामले मे सही दिशा में कार्यवाही हो रही हैं, जल्द ही हम आरोपी तक पहुंचकर आरोपी को सामने लायेंगे.आरोपी कौन और कहां के है यह अभी कह पाना मुमकिन नही. -पवन झेप, आय एफ एस सहा.वनसंरक्षक मेळघाट प्रादेशिक