अमरावती

Published: Dec 07, 2021 11:45 PM IST

Amravati New Spiderमेलघाट में मिली मकड़ी की नई प्रजाति, दर्यापुर के डा. अतुल बोडखे की खोज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

दर्यापुर. मेलघाट टाइगर रिजर्व न केवल बाघों के लिए बल्कि अपनी जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है और यह मकड़ियों की एक दुर्लभ प्रजातियों का घर माना जाता है. विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में मेलघाट में मकड़ी की एक नई प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम ‘लिंक्स स्पाइडर’ (ऑक्सिओपस कोलखासेन्सिस) है. दर्यापुर के जेडी पाटील सांगलुदकर महाविद्यालय के प्राचार्य डा. अतुल बोडखे, देहराडून के भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वीरेंद्र प्रसाद उनियाल तथा इरिना दास सरकार आदि विशेषज्ञों की टीम ने इस नई प्रजाति की खोज की है.

290 में से 55 प्रजातियां भारत में

डा. अतुल बोडखे के अनुसार नई प्रजाति ऑक्सिओपस भारती गजबे के समान है, जिसे वर्ष 1999 में खोजा गया था, लेकिन इसके वर्गीकरण में अंतर है. ‘लिंक्स स्पाइडर’ प्रजाति का परिवार छोटा है. ये मकड़ियां छोटे से लेकर बड़े आकार में पाई जाती हैं. यह पैरों पर एक विशिष्ट बिंदु, तीन टार्सल पंजे और आंखों की चार अलग-अलग पंक्तियों से पहचाने जाते है.

यह मुख्य रूप से पौधों, घास के पत्तों और खेत की मेड़ों पर उगने वाले खरपतवारों पर रहते हैं. भारतीय उपमहाद्वीप में पहली प्रजाति, ऑक्सिओपस, जिसकी खोज शोधकर्ता लैट्रेले ने वर्ष 1804 में की थी, वाकर ने वर्ष 1805 में इसे दर्ज कराया.

यह प्रजाति विश्व स्तर पर बिखरे हुए विविध समूह का प्रतिनिधित्व करती है. ऑक्सीपस की कुल 290 प्रजातियों में से 55 प्रजातियों को भारत में पाई गई है. रिपोर्ट किया गया नमूना मेलघाट टाइगर रिजर्व के कोलखास क्षेत्र में सिपना नदी के किनारे एक गेस्ट हाउस के पास घास के पौधों से एकत्र किए जाने की जानकारी बोडखे ने दी है. 

प्रकृति संतुलन में बेहद उपयोगी

प्रकृति के संतुलन की दृष्टि से बहुत उपयोगी मकड़ी की प्रजातियों के अनुसंधान के लिए मेलघाट एक मूल्यवान स्थान है. कीड़ों क प्राकृतिक शत्रू मकड़ियों को मारने की मानवीय प्रवृत्ति होती है. लेकिन, मकड़ियों का अस्तित्व मानव जाति के लिए बेहद उपयोगी होने की बात बोडखे ने कही है.

विभिन्न आकारों के रेशमी जाल बुनकर शिकार करनेवाली मकड़ियों की प्रजातियों को बिना किसी कारण के नष्ट किए जाने से उनका संवर्धन आवश्यक हो गया है. उनके अनुसार अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में 1686 प्रजातियाँ निवास कर रही हैं और केवल सातपुड़ा विभाग में ही 600 से अधिक मकड़ियों की प्रजातियाँ पाई गई हैं.