अमरावती

Published: Aug 08, 2020 09:31 PM IST

आत्मनिर्भरताआदिवासियों द्वारा श्रमदान से सडक निर्माण, प्रशासन की लापरवाह नीति से ‘मांझी’ बने ग्रामस्थ

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

चुरणी. अतिदुर्गम भाग के डोमी गांव से मध्यप्रदेश सीमा से जुड़नेवाला मार्ग पुरी तरह तबाह हो गया है. इस सड़क निर्माण के लिए कई बार प्रशासन से मांग की गई. लेकिन लापरवाह नीति के चलते आदिवासी ‘मांझी’ बनने पर मजबूर हो गए है. जिस प्रकार बिहार के दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़कर सड़क बनाई थी, उसी प्रकार इस गांव के आदिवासी नागरिकों ने सड़क निर्माण करना शुरू किया है. 

हर घर के व्यक्ति का सहयोग
गांव के हर घर का व्यक्ति रोज बारी-बारी से श्रमदान किया जा रहा है. लोकनिर्माण विभाग, जिला परिषद निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्रामसड़क योजना व ग्राम पंचायत मेलघाट में सड़क विकास के नाम पर कराड़ों की निधि फूंकी जा रही है. सरकारी विभागों को लगी भ्रष्टाचार के दीमक ने यहां के सड़कों की अवस्था बिकट कर दी है. इस वजह से आदिवासियों को मजबूरन श्रमदान से सड़क विकास करने पर मजबूर है.

प्रति वर्ष करोड़ों खर्च
सड़क विकास के नाम पर करोड़ों रुपए का प्रावधान किया जाता है. लेकिन इस निधि से आमुलचुल काम किया जाता है. दर्जाहिन काम के कारण 2-3 माह में ही इन सड़कों की पोल खुल जाती है. मेलघाट का कौन-सा मार्ग किस विभाग के अंतर्गत आता है, इसकी जानकारी को बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता, जिससे इन खराब सड़कों की शिकायत के लिए नागरिकों को विभाग दर विभाग भटकना पड़ता है. 

छिपाई जाती है जानकारी
कौन-सा मार्ग किस विभाग के अंतर्गत आता है, कितनी निधि खर्च की गई है आदि जानकारी ग्रामपंचायत के फलक पर लगाना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं किया जाता. सड़कों के नक्शे भी सरकारी कार्यालय की आलमारी में छिपाकर रखे जाते है.-बंड्या साने, अध्यक्ष, खोज संस्था, मेलघाट