अमरावती

Published: Mar 13, 2021 11:59 PM IST

अमरावतीनिजी कंपनी को ठेका देना संदेहास्पद, पात्र सरकारी शीर्ष कंपनी को किया गया नजरअंदाज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

अमरावती. सरकारी अव्वल ‘न्युमेरो युनो’ दर्जा प्राप्त कंपनी को छोड संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय ने डब्लूआययूएमएस का ठेका निजी डाटकाम कंपनी को देना संदेहास्पद है. सरकार की शीर्ष आईटीआई लिमिटेड कंपनी ने भी विश्वविद्यालय को एक प्रेजेंटेशन ड्राफ्ट भेजा था. लेकिन सुधार पत्रक के अनुसार मूल निविदा की शर्तों में परिवर्तन सुझाए गए. तत्कालीन महाविद्यालयीन व विकास विभाग संचालक व वर्तमान प्र-कुलगुरू द्वारा शर्तों को बदलने का काम शुरू होने की जानकारी सामने आयी है.

आईटीआई ने दिया था प्रेजेंटेशन

वेब बेस्ड इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (डब्लूआययूएमएस) को कम्प्यूटरीकृत करने का कार्य केंद्र सरकार की शीर्ष ‘न्यूमेरो यूएनओ’ रेटेड कंपनी को सौंपा जाना अनिवार्य था. केंद्र सरकार की शीर्ष ‘न्युमेरो युनो’ दर्जा प्राप्त आईटीआई कंपनी को ठेका सौंपने विश्वविद्यालय ने 19 जुलाई 2016 को एक पत्र भेजा था. इस कंपनी को केंद्रीय सरकार के उपक्रम, में कम से कम 5 लाख छात्रों के साथ कुल 12 बड़े विश्वविद्यालयों में काम करने का अनुभव था.

कंपनी ने विश्वविद्यालय में एक प्रस्तुति दी थी कि वह कैसे और कितनी बार WIUMS सॉफ्टवेयर विकसित करेगा. विश्वविद्यालय ने इसके बाद 12 अगस्त, 2016 को कंपनी के प्रतिनिधि को एक पत्र भेज कर एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट (इओआइ) भेजने कहा. इसका मतलब है कि प्रस्तुति में कंपनी द्वारा प्रदान की गई जानकारी से विश्वविद्यालय संतुष्ट है. इसलिए कंपनी को 15 अगस्त 2016 को ईमेल में कहा गया था कि वह अनुबंध के लिए ईओआई दाखिल करें.

सरकारी कंपनी को नजरअंदाज किया

सरकार की कई कंपनियों में से जिन्हें न्यूमेरो यूएनओ का दर्जा प्राप्त है और पारदर्शी व्यवहारवाली कंपनी को छोड एक निजी कंपनी के लिए एक निविदा क्यों जारी की गई थी, यह सवाल उठता है. बीसीयूडी संचालक और विकास विभाग की ओर से 19 जुलाई 2016 को आईटीआई को एक ई-मेल भेजा गया था. इसमें जो लिखा गया था सदि वह सामने आता है, तो तथ्य और भी अलग हो सकते हैं.

कंपनी के पास टियर 3 प्लस स्तर का अपना डेटा सेंटर है और इसमें वैल्यू चेन आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, ई-गवर्नेंस, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, अत्याधुनिक बी-स्पोक सिस्टम और उच्च गुणवत्ता वाले समर्पित नेटवर्क सिस्टम सहित एक सेवा पोर्टफोलियो होने का प्रमाण कंपनी ने 19 जुलै 2016 के पत्रनुसार विवि को बताया है. 

स्वत:चे सर्व्हर नसलेल्या कंपनीला कंत्राट

डॉटकॉम या कंपनीकडे स्वत:चे सर्व्हर नाही. जी कंपनी डब्लूआययूएमएस बाबत काम करण्याचा अनुभव ठेवत नाही. सोबत 50 तांत्रिक अभियंता नेमत नाही. बरोबरीने 28 मॉड्युल्स पूर्ण करण्याचे आर्थिक पाठबळ नाही. आयटीआय लिमीटेड कंपनीने सुचित केलेले कुठलेच संगणकीय पायाभूत सुविधा नाही तरी खासगी कंपनीला कंत्राट देण्यात आल्याने आश्चर्य व्यक्त होत आहे.

ठेका प्राप्त करनेवाले के पास सर्वर तक नहीं

डॉटकॉम कंपनी का अपना सर्वर तक नहीं है. कंपनी के पास डब्लूआययूएमएस पर काम करने का अनुभव नहीं है. 50 तकनीकी इंजीनियर नियुक्त नहीं करती. एक ही समय में 28 माड्यूल्स को पूरा करने के लिए कोई वित्तीय बैकअप नहीं है. आईटीआई लिमिटेड द्वारा सुझाए गए कंप्यूटर इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है, फिर भी एक निजी कंपनी को अनुबंध देना यह आश्चर्यजनक है.

नियमों का उल्लंघन

सरकार द्वारा गठित डा. राजेश अग्रवाल समिति, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) इन सरकार के विविध आयोग से ऐसे काम के लिए सरकारी कंपनियों ये काम कराने के दीशानिर्देश विवि को प्राप्त है. लेकिन इन निर्देशों की धज्जियां उडाकर निजी कंपनी, डॉटकॉम जैसी अपात्र कंपनी को अत्याधिक संवेदनशील कंप्यूटर प्रणाली की स्थापना का काम देने के पिछे उपकुलपति व प्र-कुलगुरू का क्या आग्रह था, यह समझ से परे है.