अमरावती

Published: Jun 03, 2020 10:32 PM IST

प्रवासी मजदूर मेलघाट में हजारों हाथ खाली-मनरेगा में काम कम, मजदूर ज्यादा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

धारणी: ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार निर्माण के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत राज्य समन्वय प्रारुप अमल में लाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है. इसके तहत मनरेगा योजना के साथ अन्य योजनाओं के समन्वय से ग्रामीण में रोजगार निर्माण और बड़े पैमाने में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया जाना था, लेकिन मेलघाट में आज भी हजारों हाथ काम की प्रतीक्षा में है. जिसके लिए अतिदुर्गम गांव के आदिवासी व गैरआदिवासियों का पलायन जारी है.

केवल 27,000 को काम
मनरेगा के नियमानुसार काम मस्टर पर करना पड़ता है. इस योजना का लाभ लेने के लिए परिवार पहचान पत्र (जॉब कार्ड) की आवश्यकता है. लेकिन तहसील में अधिकांश ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड धारक परिवारों की संख्या काफी कम है. तहसील में गांव का सर्वे कर जॉब कार्ड पंजीयन करने की आवश्यकता है. तहसील में कुल 35,582 परिवारों के पास जॉब कार्ड है. जिसमें कुल 1,01,591 को काम दिया जाता है. लेकिन वर्तमान में मनरेगा के अंतर्गत तहसील में 302 काम शुरू है, जिसमें केवल 26,905 लोगों को काम दिया गया है.

ग्रापं में नियोजन शून्य
मनरेगा अंतर्गत प्रति वर्ष 15 अगस्त को आयोजित विशेष ग्रामसभा में अगले आर्थिक वर्ष का लेबर बजट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें गांव के विकास कार्यों को प्रस्तावित करना, उनका प्राथमिक क्रम तय करना, शुरू वित्तीय वर्ष का संशोधित लेबर बजट आदि का समावेश रहता है. लेकिन मेलघाट के धारणी में इसे लेकर प्रत्येक ग्रामपंचायत में नियोजन शून्य देखी गई है. यदि ग्रामवासियों को मनरेगा अंतर्गत गांव में ही काम उपलब्ध होता तो लॉकडाउन में मजदूरों का शोषण नहीं होगा. मनरेगा के तहत सिंचाई कुएं, खेत तालाब, वर्मी कम्पोस्टिंग, नाडेप कम्पोस्टिंग, फलबाग उत्पादन, शौचालय, शोषखड्डे, गांव तालाब, पारंपारिक जलभंडार का नूतनीकरण, कीचड़ निकालना, जलसंधारण के काम, पौधों का निर्माण, पेड़ संवर्धन व सुरक्षा, ग्राम सबलीकरण आदि कामों से गांवों को सुजलाम सुफलाम बनाना संभव है.