औरंगाबाद

Published: Oct 28, 2020 05:49 PM IST

सेवाकोरोना संकट में जनता की सेवा में जूटे तांत्रिक कामगारों का गौरव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

औरंगाबाद. कोरोना महामारी के चलते देश भर में जारी किए गए लॉकडाउन काल में औरंगाबाद की जनता को सूचारु बिजली सेवा देने के लिए दिन-रात इमानदारी से अपनी डयूटी निभानेवाले तांत्रिक कामगारों को राज्य बिजली तांत्रिक कामगार संगठन ने गौरवान्वित किया. एक तरफ औरंगाबाद वासी अपने घर में रहकर कोरोना महामारी से बचने का प्रयास कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ तांत्रिक कामगार अपनी जान की परवाह किए बिना काम कर रहे थे. 

संगठन के महासचिव सैयद जहिरोददीन की  संकल्पना से तांत्रिक कामगारों को गौरवान्वित करने का नियोजन किया गया. उन्होंने संगठन के राज्य कोषाध्यक्ष कैलास गौरकर, जोन अध्यक्ष शेख रफिक, जोन सचिव विश्व भर लोखंडे के प्रयासों से औरंगाबाद शहर के तांत्रिक कामगारों का कोविड योध्दा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. संगठन के खडकेश्वर में स्थित मध्यवर्ती कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में औरंगाबाद शहर विभाग क्र. 1 और 2 के तांत्रिक कामगारों को संगठन की ओर से कोविड योध्दा प्रमाणपत्र वितरित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन के महासचिव सैयद जहिरोददीन ने की. इस अवसर पर कोषाध्यक्ष ताराचंद कोल्हे मामा, उपमहासचिव आरपी थोरात, राज्य उपमहासचिव एसआय सैयद, कार्यक्रम के संयोजक कैलास गौरकर, प्रादेशिक अध्यक्ष एसपी शाहिर, सीएम सांलुके, शेख रफिक, अजीज पठान उपस्थित थे.

दिन-रात जनता की  सेवा में जूटे हुए थे

इस अवसर पर अपने विचार में तांत्रिक कामगार संगठन के महासचिव सैयद जहिरोददीन ने कहा कि कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार ने 22 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन जारी किया था. जिसके चलते औरंगाबाद वासी करीब 5 महिने तक घरों में बैठे रहे, लेकिन जिस तरह स्वास्थ्यकर्मी, मनपाकर्मी, पुलिस कर्मचारी जनता की सेवा में जूटे थे, उसी तरह जनता को सूचारु बिजली आपूर्ति करने तांत्रिक कामगार भी दिन-रात जनता की  सेवा में जूटे हुए थे. जहिरोददीन ने बताया कि तांत्रिक कामगारों और बिजली कर्मचारियों के लिए संगठन ने सरकार को 30 लाख की मदद और 20 लाख रुपए का बीमा कवच ऐसा 50 लाख रुपए की मदद जाहिर करने के लिए बाध्य किया. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शेख मुफिद, विष्णु लोखंडे, नंदु लोखंडे, अनिल पोफले, दीपक थटटेकर, मच्छिन्द्र लग्गड, एमआर काले ने परिश्रम किया.