औरंगाबाद

Published: Feb 11, 2022 10:31 AM IST

Cattle Genome Analysisमहाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुरू हुई अनोखी रिसर्च, मवेशियों-बकरियों की नस्लों का जीनोम विश्लेषण करने का आगाज़

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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औरंगाबाद (माहाराष्ट्र): डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (Dr. Babasaheb Ambedkar Marathwada University) (बीएएमयू) के जंतु विज्ञान विभाग (Science Department) ने यहां के मूल मवेशियों और बकरियों (Cattle) की नस्लों का जीनोम विश्लेषण (Genome Analysis) करने की एक परियोजना शुरू की है, ताकि उनकी विशेषताओं को पता लगाया जा सके।

विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि परियोजना को औरंगाबाद में संभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा शुरू किया गया है, जिसके वास्ते चार साल के लिए 1.69 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। अधिकारी ने कहा, ‘‘ इस परियोजना के तहत लाल कंधारी गाय, देवनी बैल और उस्मानाबादी बकरी की देशी नस्लों का अध्ययन किया जाएगा। इससे उनकी बुनियादी विशेषताओं की पहचान करने और अंततः उन्हें बचाने में मदद मिलेगी।”

जंतु विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. गुलाब खेड़कर ने कहा, ‘‘लाल कंधारी गाय, उस्मानाबादी बकरी और देवनी बैल से क्षेत्र के किसानों को वित्तीय सहायता मिलती है। लाल कंधारी गायों और देवनी बैलों का क्रमशः लगभग 650 वर्ष और 250 वर्ष का इतिहास है। हालांकि, समय के साथ, इन नस्लों की बुनियादी विशेषताओं में बदलाव आया है। हम देख सकते हैं कि इन गायों की दूध देने की क्षमता आदि में बदलाव पाया है।”

उन्होंने कहा, ‘‘ परियोजना के हिस्से के रूप में, हम जीनोम विश्लेषण के लिए उनके नमूने एकत्र करेंगे। उनका अध्ययन करने के बाद, हम मराठवाड़ा क्षेत्र की मूल नस्लों को बचा पाएंगे।” उन्होंने बताया कि बीएएमयू के कुलपति, डॉ. प्रमोद येओले और वसंतराव नायक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ (वीएनएमकेवी) परभणी के डॉ. अशोक धवन ने परियोजना में मदद का आश्वासन दिया है।