औरंगाबाद

Published: Dec 30, 2020 02:39 PM IST

सुझाव ‘शक्ति विधेयक’ पर विजया रहाटकर ने महाराष्ट्र सरकार को दिए कई सुझाव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

औरंगाबाद. महाराष्ट्र (Maharashtra) में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों की घटनाओं पर लगाम लगाने राज्य की ठाकरे सरकार ने हाल ही में ‘शक्ति विधेयक’ (Shakti Bill) विधिमंडल में पेश किया है। अधिक चिकित्सा के लिए यह विधेयक विधि मंडल के संयुक्त समिति के पास भेजा गया है। राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष के नाते विजया रहाटकर (Vijaya Rahatkar) ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government ) को कुछ सुझाव (Suggestions) दिए हैं। इन सुझावओं को गृह मंत्रालय ने संयुक्त समिति के पास रखकर उस पर चर्चा करने की विनंती रहाटकर ने राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ( Anil Deshmukh) को एक पत्र (Latter) लिखकर की।

राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख को भेजे पत्र में रहाटकर ने ‘शक्ति विधेयक’ में पुलिस थाना में शिकायत के लिए आई महिला की शिकायत दर्ज करते समय उसे सीसीटीवी में रिकॉर्ड करना बंधनकारक करना,  जिससे महिला द्वारा दी गई शिकायत जस की तस दर्ज होगी। साथ ही शिकायत देनेवाले के इशारे, भाषा, शब्द इसमें पहली बार शिकायत करते समय किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा। ऐसे में मामलों में शिकायत कर्ता और गवाहों को संरक्षण  देने का प्रावधान विधेयक में लाया जाए, जिससे शिकायतकर्ता पर आनेवाले दबाव की वह बली नहीं चढे़गी। 

जांच के लिए दी हुई समयावधि बढ़ाकर 30 दिन करें

एफआईआर मेजिस्ट्रेट के समक्ष सिर्फ इलेक्ट्रानिक पध्दति से पंजीकरण किया जाए, गवाहों के जवाब वीडियो रिकॉर्डिंग करें, फॉरन्सिक सैंपल जमा करने की प्रक्रिया वीडियो कॉल द्वारा रिकॉर्ड करें, निजी फॉरेंसिक विशेषज्ञ संबंधित पैनल पर रखें, डीएनए सबूत यह किसी भी लैंगिक अपराध के लिए मुख्य सबूत माने। जिससे दर्ज मामलों का परिणाम सामने आएंगा, संबंधित मामले ई-कोर्ट में चलाए। आरोपपत्र और सबूत डिजीटल पेश करें। सबंधित कोर्ट का कामकाज सुबह 6 से रात 9 बजे के दौरान 2 शिफ्ट में चलाएं। जांच के लिए दी हुई 15 दिन की समयावधि बढ़ाकर 30 दिन की करें, क्योंकि न्यायवैद्यक तज्ञों की रिपोर्ट में आने में समय लगता है। न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी करने में 45 दिन की समयावधि प्रस्तावित होनी चाहिए। परंतु उसके बाद होनेवाले विलंब के कारण उच्च न्यायालय के समक्ष पेश करना बंधनकारक होने चाहिए, जिससे अपराधों का उच्च न्यायालय परीक्षण कर मार्गदर्शन कर पाएंगा। आरोपी जमानत पर रिहा हुआ तो उस पर सख्त प्रतिबंधात्मक उपाय योजनाएं की जानी चाहिए।  यह सुझाव राज्य की पूर्व महिला अध्यक्ष विजया रहाटकर शक्ति विधेयक को लेकर सरकार को दिए।