भंडारा

Published: Nov 18, 2021 10:56 PM IST

Problemविधानसभा ध्यानाकर्षण: ग्रामसेवक कालोनीवासियों की आफत में जान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

भंडारा. महत्वाकांक्षी इंदिरा सागर राष्ट्रीय परियोजना यानि गोसीखुर्द परियोजना जलस्तर दिसंबर दूसरे सप्ताह तक 245.50 मीटर तक बढ़ाया जाएगा. फिलहाल जलस्तर 245 मीटर के लगभग ही है, तो भंडारा शहर के ग्रामसेवक कालोनी के 32 परिवारों की जान पर संकट मंडरा रहा है.

नप की गाडी ने जलस्तर बढ़ने एवं सतर्क रहने की मुनादी करा दी है. ग्रामसेवक कालोनीवासियों का दर्द है कि उनकी परेशानी की ओर सरकार एवं प्रशासन ने नजरअंदाज किया है. जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे है. गोसीखुर्द बांध से पूरानी है कालोनी ग्रामसेवक कालोनी का स्थापना वर्ष 1973 में याने गोसीखुर्द बांध के भी पहले की गयी.

जिले के ग्रामसेवकों का घरोंदा बन सके, इसके लिए मुंबई मंत्रालय ने रुचि दिखाई थी. उन्होंने प्लाट खरीदा एवं घर बनाना. उन सभी उसकी सेवानिवृत्ति काल का को ध्यान में रखते हुए कर्ज दिया गया.   

8 साल रुका रहा काम 

नाना चित्रिव ग्रामसेवक कालोनी में रहनेवाले नाना चित्रिव ने बताया कि शुरुआत में गोसीखुर्द बांध की उच्चतर जलस्तर सीमा काफी अधिक रखने की योजना बनी. लेकिन जब सर्वेक्षण में सामने आया कि इस जलस्तर पर पूरे भंडारा शहर एवं आयुध निर्माणी को खतरा होगा. इसके पश्चात बांध के उच्चतम जलस्तर सीमा कम की गयी.

लेकिन इस दौरान सरकारी आपत्ती की वजह से ग्रामसेवक कालोनी में लगभग 8 साल तक काम बंद रहा. बूरे फंसे है हम : अतुल वैरागडकर इस कालोनी में रहनेवाले अतुल वैरागडकर ने सरकारी लेटलतिफी का आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोग बहुत बुरे फंसे है. गोसीखुर्द बैकवाटर के साथ फैल रहे शहर के गंदे पानी परिसर के लोगों को जीना हराम कर रखा है. पुनर्वास नहीं हुआ : भानुदास बनकर भानुदास बनकर ने बताया कि ग्रामसेवक कालोनी के 32 घरों को तत्काल पुनर्वास आवश्यक है. 

इन बाधितों को घर बनाने के लिए अब तक जगह का चयन नहीं किया गया है. लेकिन नियम के विपरीत बगैर पुनर्वास किए ही पानी को रोका जा रहा है.  सरकारी दखल जरूरी सूत्रों की माने तो ग्रामसेवक कालोनी के 32 परिवारों का पुनर्वास  नहीं होने के लिए जिला पुनर्वास विभाग एवं वाही स्थित गोसीखुर्द बांध प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है. अधिकारियों ने ग्रामसेवक कालोनी के बाधितों के पुनर्वास पूरा होने की गलत जानकारी सरकार को दी.

सरकार ने उसपर भरोसा किया. बगैर पुनर्वास के पानी रोका जा रहा है. विधानसभा में उठाए मुद्दा ग्रामसेवक कालोनी के निवासी बालकृष्ण वैरागडकर ने बताया कि प्रशासन के अधिकारी निजी तौर पर मानते है कि घोर लापरवाही हुई. बाधितों को प्लाट देने के लिए जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर कुछ नहीं किया है. ऐसे में सरकार को ही हस्तक्षेप करना चाहिए.  जमीन देने में गांवों की ना यद्यपि ग्रामसेवक कालोनी परिसर के बाधितों को उनके घरों का मुआवजा मिला है.

लेकिन गृहनिर्माण के लिए प्लाट आवंटित नहीं हुआ. बताया जाता है कि प्रशासन ने बाधितों के लिए भंडारा शहर में जगह तलाशने का असफल प्रयास हुआ. बाद में बेला ग्रापं से जगह मांगी. लेकिन बेला गांव ने मांग को ठुकरा दिया और मामला अटक कर रह गया. कहां जाए?  गोसीखुर्द बैकवाटर ग्रामसेवक कालोनी के निवासियों के घर निगलने पर उतारू है. लेकिन प्रशासन अब भी खर्राटे की नींद सो रहा है.

जिनके घर दो मंजिला है. ग्राऊंड फ्लोअर में पानी घुसने पर वे पहली मंजिल चले गए है. घर से बाहर निकलने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल हो रहा है. लोगों को अपनी जान का खतरा है. उन्हे समज में नहीं आ रहा है कि वे कहां जाए?