भंडारा

Published: Apr 04, 2024 01:28 PM IST

Bhandara-Gondia Seatकांग्रेस का गढ़ था भंडारा-गोंदिया, 'इन' दिग्गजों को करना पड़ा हार का सामना, जानें अब तक का इतिहास

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

गोंदिया: भंडारा-गोंदिया निर्वाचन क्षेत्र (Bhandara-Gondia constituency) आजादी के बाद 1952 के चुनाव से अस्तित्व में आया। इस क्षेत्र से डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, अशोक मेहता, डॉ. श्रीकांत जिचकर, प्रफुल पटेल जैसे दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है। इस सीट पर कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) का कभी दबदबा रहा है। मतदाताओं ने कांग्रेस और एनसीपी को करारा झटका देते हुए भाजपा को 5 बार मौका दिया है। अब यह संसदीय क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उदय के बाद यहां राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी लुप्त हो गई। यहां पर 13 बार कांग्रेस और एनसीपी से सांसद रहे।  

वर्ष 1977 में जनता पार्टी की ओर से लक्ष्मणराव मानकर ने प्रतिनिधित्व किया था। रामचंद्र हाजरनवीस, केशोराव पारधी ने दो-दो बार, प्रफुल पटेल ने 4 बार प्रतिनिधित्व किया। 1989 में डॉ. खुशाल बोपचे, 1999 में चुन्नीलाल ठाकुर, 2004 में शिशुपाल पटले और 2014 में नाना पटोले व 2019 में सुनील मेंढे भाजपा के टिकट पर चुने गए। भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र में तिरोडा, अर्जुनी मोरगांव, गोंदिया, भंडारा, साकोली, तुमसर शामिल हैं।

संसदीय क्षेत्र पुनर्गठन के बाद बदले समीकरण

संसदीय क्षेत्र के पुनर्गठन से पहले देवरी-आमगांव विधानसभा क्षेत्र को इस संसदीय क्षेत्र में शामिल किया गया था। 2009 के पुनर्गठन में देवरी-अमगांव निर्वाचन क्षेत्र को गड़चिरौली-चिमूर लोकसभा क्षेत्र में जोड़ा गया। इसके बाद से जातीय समीकरण बदल गए है। अधिकांश मतदाता कुणबी, तेली, पोवार समुदाय के हैं।
 
ऐसा माना जाता है कि इस समुदाय के वोटों का झुकाव जिस उम्मीदवार की ओर होता हैं, उसकी किस्मत चमक जाती है। इसीलिए राजनीतिक दलों द्वारा जाति तुलना के आधार पर नामांकन करने का इतिहास रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि सभी राजनीतिक दलों ने अब तक के चुनावों में इस निर्वाचन क्षेत्र से महिला उम्मीदवारों को दूर रखा है। 2019 को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी ने एकमात्र उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।