भंडारा

Published: Sep 05, 2023 11:49 PM IST

Inflation पशुखाद्य पर पड़ रही महंगाई की मार, मवेशियों के लिए ग्रामीण परेशान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

तुमसर. तहसील में प्रत्येक वर्ष पशु पालक कों जानवरो के पालन-पोषण करने की समस्या बढ़ती जा रही है. इसकी प्रमुख वजह पशु खाद्य की अनुपलब्धता एवं लगातार चारागाहों पर किसानों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण को मुख्य कारण बताया जा रहा है.वर्तमान में बढ़ती महंगाई का असर सभी ओर साफ दिखायी दे रहा है, जिससे पशुखाद्य भी अलग नहीं है. 

कंपनियों ने किए दाम दुगने 

पशुखाद्य के दाम बढ़ने से पशुपालक संकट में पड़ गए है. इसका असर दुग्ध व्यवसाय पर होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. फिलहाल सरकी, ज्वार, मका, सोयाबीन की दर बढ़ने से पशुखाद्य का निर्माण करने वाली कंपनियों ने भी दाम दुगने कर दिये है. इसकी तुलना में दूध के दर नहीं बढ़ने से दूध उत्पादकों की चिंता बढ़ गई है. दिनों दिन बढ़ती जा रही महंगाई से दूध व्यवसाय करने वाले पशुपालकों को पशुपालन करना मुश्किल होता जा रहा है. 

संकट में किसानों का पूरक व्यवसाय 

प्राकृतिक संकट का सामना करते हुए तहसील के अनेक किसानों ने खेती पूरक व्यवसाय के तौर पर पशुपालन की शुरुआत की गई है. उसी के साथ सब्जी, फूलखेती, कुक्कुटपालन, भेड़ पालन जैसे उप व्यवसाय भी किसान कर रहे हैं. इससे बड़े प्रमाण में किसानों को जीवन जीने का सहारा मिलता है, परंतु बढ़ती महंगाई का परिणाम खेती पूरक व्यवसाय पर भी हो रहा है. 

पशुखाद्य पर अधिक खर्च से पशुपालक परेशान

दुग्ध व्यवसाय करने वाले किसानों की ओर से पशुधन के लिए सरकी, मक्का चुन्नी, चना चुन्नी, सुग्रास को अधिक मांग रहती है. परंतु पशुखाद्य की कीमतें काफी बढ़ गई है. उसकी तुलना में दूध के दर कायम है. दूध की आय से अधिक पशुखाद्य पर अधिक खर्च होने से पशुपालक चिंतित है.