भंडारा

Published: Sep 17, 2020 12:21 AM IST

कोरोना कहरकोरोना महामारी को हल्के में लेना शहर वासियों को पड़ रहा है महंगा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

तुमसर. कोरोना संक्रमण के चलते जब तक सरकारी लाकडाउन की प्रक्रिया जारी थी तब तक सब कुछ सरकार के कंट्रोल में था. लेकिन अनलाक किया गया तो कोरोना प्रकरणों में काफी उछाल देखने को मिल रहा है. एवं शहरवासियों ने इसे हल्के में लिया था तो उन्हें अब भारी पड़ रहा है वही दूसरी ओर इलाज के अभाव में अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों की मौत होने की संख्या दिन ब दिन बढ़ते ही जा रही है.

कोरोना महामारी से भंडारा जिला  भी अछूता नहीं रहा है जिले में कोरोना महामारी के मामले बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी है यह सब कुछ लोगों द्वारा सरकार की गाइडलाइन की सरेआम धज्जियां उड़ाने के कारण हो रहा है. वर्तमान में जिले की तुमसर, साकोली, मोहाडी, पवनी, भंडारा एवं लाखनी सभी तहसीलों में कोरोना संक्रमितों संख्या में भारी मात्रा में वृध्दि हो रही है. कोरोना महामारी के कारण एक युवक की मृत्य हो चुकी है. अनलाक शुरु हुआ तो सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान 9 बजे से 7 बजे  तक खुलने लगे है. इससे बाजारों में भीड़ उमड़ने लगी तथा प्रशासन द्वारा गाइडलाइन को सख्ती से लागू न करवा पाने के कारण प्रकरणों में वृद्धि देखने को मिल रही है.

वर्तमान में व्यापारिक प्रतिष्ठान के साथ ही रैस्टोरैंट में भी ग्राहक बैठाने की अनुमति दे दी गई है. जिला प्रशासन द्वारा अनलाक की जो गाइड़लाइन जारी की है. उसका सभी दुकानदारों एवं ग्राहकों को भी पालन करने के लिए कहा गया है. लेकिन यह सब कुछ कागजो तक ही सीमित दिखाई दे रहा है, क्योंकि अनलाक होने के बाद गांवों से लोग बाजार पहुंच रहे है. जिससे बाजार में काफी भीड़ देखने को मिल रही है. जहां तक कोरोना महामारी के दिशा-निर्देशों की बात है. तो कुछ लोग इसका पालन कर रहे है तो कहीं पर इसका पालन नही के बराबर हो रहा है. बाजार परिसर में सोशल डिस्टनसिंग की धज्जियां उड़ाकर बगैर  मास्क पहने सब कार्य किए जा रहे है. जबकि प्रशासन को इस सबकी जानकारी होने के बावजूद भी इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है.

नियमों का उल्लघंन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. जिससे उनके हौंसले बुलंद हो रहे है.  अनेक शहरवासियों ने इस तरह की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, यदि इसी तरह से सरकार की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाने का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले दिनों में कोरोना महामारी के प्रकरणों में काफी बढ़ौतरी देखने को मिल सकती है.

वर्तमान में मरीज की तबियत बिगड़ने पर वे निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए जाते है तो निजी अस्पतालों के चिकित्सकों द्वारा सबंधित मरीज की जांच पड़ताल नही करते हुए सरकारी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी जाती है. इसमे अनेक मरीज सरकारी अस्पताल में नहीं जाते हुए अपने घर लौटते है. एवं वही मेडिकल स्टोर की दवा का सेवन करते है. इस बीच उन्हें सही इलाज नहीं मिलने से उनकी मृत्यु हो जाती है.

सरकारी अस्पतालों में नही जाने का कारण जानना चाहा तो पता चला कि, वहां जाने पर कोरोना टेस्ट के लिए भेजा जाता है. एवं रिपोर्ट पाजिटिव आने पर भंडारा अथवा कोरोना सेंटर में भरती रखा जाता है. वहां की अव्यवस्था से वे पूरी तरह वाकिब होने के कारण वे सरकारी अस्पताल में जाने से कतराते है.

वर्तमान में शहर में ऐसी स्थिति है कि, मरीजो के पास पैसा होने के बावजूद उन्हें इलाज के अभाव में मौत के मुंह मे समाना पड़ रहा है. निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजो के साथ कोरोना संक्रमण जैसा व्यवहार नही करते हुए उनका समय पर इलाज करवाकर अपना डॉक्टरी कर्तव्य निभाना चाहिए. नगरवासियों ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सरकार के दिशा निर्देश का पालन कर हमेशा सोशल डिस्टनसिंग बनाए रखने एवं मास्क पहनने की आवश्यकता है. एवं स्वयं की सुरक्षा खुद ही करे.