भंडारा

Published: Sep 26, 2021 10:32 PM IST

Movementभेल के सामने होने वाला आंदोलन टाय टाय फिश, घटनास्थल से आंदोलनकर्ताओं को भगाया

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

साकोली तहसील के मुंडीपार सडक स्थित भेल प्रकल्प के सामने रविवार 26 सितंबर को होनेवाला रास्ता रोकों आंदोलन पुलिस प्रशासन के सतर्कता की वजह आखिर रोका गया. एवं आंदोलन स्थल में जमा हुए 150 नागरिकों को पुलिस ने सुचना देकर वापिस भेजा गया. इससे भेल के सामने होनेवाला आंदोलन पुलिस प्रशासन की वजह से टाय टाय फिस हो गया. 

आंदोलन को नहीं थी मंजूरी 

इसमें हल्लाबोल आयोजन के आंदोलक इंजि. राजेंद्र पटले, साकोली तहसील सरपंच संगठन के अध्यक्ष पवनकुमार शेंडे एवं अन्य आंदोलनकर्ताओं को पुलिस ने कब्जे में लिया गया. कानून सुव्यवस्था एवं कोरोना का प्रादुर्भाव को ध्यान में रखते हुए तहसीलदार ने आंदोलन को मंजूरी नहीं दी थी. 

एक प्रसिद्धी पत्र द्वारा किया गया था आह्वान

एक प्रसिद्धी पत्र द्वारा आंदोलन कर्ताओं ने भंडारा एवं गोंदिया जिला बंद का आह्वान किया गया था. उसको कोई भी प्रतिसाद नहीं मिला. इस आंदोलन की एक महीने से प्रसिद्धी की गयी थी. इस समय भेल सामने के सभा मंडप एवं लाऊडस्पिकर पुलिस ने कब्जे में लिया गया था. घटनास्थल पर आंदोलनकर्ते जमा ही नहीं हुए थे. तो आंदोलनकर्ता से अधिक पुलिस का बंदोबस्त ही अधिक था. 

बंदोबस्त में थे 150 पुलिस 

यहां पर बंदोबस्त में 150 पुलिस जवानों के साथ उपविभागीय पुलिस अधिकारी अरविंद वायकर, तहसीलदार रमेश कुंभरे, लाखनी पुलिस निरीक्षक मनोज वाढीवे, उपनिरीक्षक रविंद्र रेवतकर, एपीआय कोरचे, एपीआय म्हैसकर, एपीआय तांबे के साथ नियंत्रण पुलिस टीम, साकोली पुलिस टीम एवं होमगार्ड टीम के साथ चोख बंदोबस्त में उपस्थित थे. 

बेरोजगारों का विचार कर जनप्रतिनिधि दे ध्यान 

लाखनी साकोली तहसील ही नहीं तो अख्खे जिले के साथ राज्य में भेल प्रकल्प का मुद्दा बडे पैमाने पर गाज रहा होकर बेरोजगारों का विचार कर जनप्रतिनिधियों ने इस पर गंभीरता से विचार कर प्रकल्प शुरू करने की मांग हो रही है.