भंडारा

Published: Dec 10, 2020 09:23 PM IST

भंडाराग्रामीण मजदूर अब फिर से शहरों में वापस

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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पालांदुर. कोरोना के कारण अपने गांव लौट आए मजदूर अब अपने परिवारों के जीवनयापन के लिए फिर से काम की तलाश में उनके साथ शहरों की ओर लौट रहे है. कई लोगों ने परिजनों को गांव में ही रखकर अकेले काम करने के लिए शहरों में जाने का फैसला किया है, जिससे उनके परिवार गांव में ही है. 

श्रमिक परिवारों की आजीविका के लिए चिंतित

नागरिकों की सुरक्षा के लिए, सरकार ने शुरू में तीन महीने का तालाबंदी किया. इस अवधि के दौरान गांव से शहर में काम करने वाले मज़दूर वर्ग का काम बंद हो गया. अधिकांश लोग वैकल्पिक और निजी वाहनों में तो कुछ साइकिल पर और कुछ पैदल भी अपने परिवार के साथ अपने गृहनगर लौट आए. तालाबंदी के बाद गांव लौट आए बड़ी संख्या में मजदूर अब शहर की ओर भाग रहे है. क्योंकि उन्हें गांव में काम नहीं मिल रहा है, क्योंकि कई वर्ष पहले कई लोग अपने परिवार के साथ एक संतुष्ट जीवन जीने के लिए शहर गए थे. कोरोना आ गया और कईयों को तब भी अपने गृहनगर लौटना पड़ा, जब उनके मन में वापस लौटना नहीं था.

मजदूर वर्ग एक बार फिर काम की तलाश में शहर गया है. क्योंकि गांव में काम की निरंतरता नहीं होने के कारण श्रमिक वर्ग अपने परिवारों की आजीविका के लिए चिंतित है. क्योंकि आज की स्थिति में, ग्रामीण क्षेत्रों में खेती को छोड़कर, कोई भी कार्य सुसंगत नहीं है. गांव में मामूली कार्य, श्रमिक वर्ग के लिए आर्थिक रूप से दुर्लभ है. गांव में भूखे रहने के बजाय, मजदूर वर्ग ने अब कोरोना के दौर में कठोर होते हुए नई आकांक्षाओं के साथ काम करने की सोच विकसित की है. मजदूरों का शहर वापस लौटने का दृश्य ग्रामीण क्षेत्र में देखा जा रहा है.