बुलढाना

Published: Jun 27, 2019 05:10 PM IST

बुलढानापुरानी इमली के पेड़ों को बचाने लिया संकल्प

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

चिखली. चिखली शहर की एक पहचान यानी इमली परिसर. इस परिसर में किसी जमाने में काफी इमली के पेड़ हुआ करते थे. लेकिन आज यहां केवल पांच इमली के पेड़ ही शेष है. लेकिन यह इमली के पेड़ जहां पर लगे हैं वहां दूसरे व्यक्तियों के प्लाट है. जिस पर अब उन्हें निर्माण करना है, उनके प्लाट के सामने अनेक वर्षों से खड़े इमली के पेड़ अब उनके काम मे अडंगा पैदा कर रहे है. जिस कारण वे इन पड़ों को हटाना चाहते है. इन्हीं पेड़ों से पहचान प्राप्त हुए इस परिसर में खड़े आखरी पांच पेड़ों को बचाने का सामूहिक संकल्प आयोजित मीटिंग के दौरान लिया गया. संत सावता माली भवन के सभागृह में संपन्न हुई इस मीटिंग के अध्यक्ष स्थान पर पूर्व नगरसेवक शिवाजीराव बनसोडे थे, तो प्रमुख अतिथी पूर्व नगरसेवक रामदासभाऊ देव्हडे, पूर्व उपनगराध्यक्ष श्रीराम झोरे, पूर्व नगरसेवक बंडूभाऊ कुळकर्णी व प्रदीप पचेरवाल, न. प. के पानी आपूर्ति सभापति गोपाल देव्हडे, शिक्षण सभापति गोविंद देव्हडे, डा. रविंद्र कळमस्कर, पुंडलिक राऊत व कपिल बोंद्रे आदि उपस्थित थे.

इमली परिसर बचाओ आंदोलन को समर्थन

निवृत्त शिक्षक गजाननराव झाल्टे, अनंतराव राऊत, बारा बलुतेदार कामगार संघटना के अध्यक्ष सतीश शिंदे, प्रा. डॉ. किशोर वळसे, सामाजिक कार्यकर्ता श्याम वाकदकर, कवि सत्य कुटे, प्रकाश गुळवे ने इमली परिसर बचाओ आंदोलन को अपना समर्थन दिया. मंच पर उपस्थित मान्यवरों ने भी समयोचित विचार रखे. इमली के पेड़ तोड़े न जाये इसलिये प्रथम तो संबंधित व्यक्तिओं से प्रत्यक्ष मिलकर विनंती कर दूसरा मार्ग निकाला जाएगा. अगर बात से समस्या हल नहीं होगी तो आंदोलन का रुख अपनाने का संकल्प इस मीटिंग में लिया गया. कुलस्वामिनी वैष्णवी नवरात्र उत्सव मंडल के अध्यक्ष हरिहर सोळंके ने इस आंदोलन की भूमिका सामने रखी. जनहित मंच के संयोजक रेणुकादास मुळे ने मीटिंग में प्रास्ताविक व सूत्रसंचालन किया. श्याम वाकदकर ने आभार व्यक्त किया. विविध सामाजिक संस्था व संगठन तथा राजकीय पक्ष के पदाधिकारी, कार्यकर्ता व जुने गांव परिसर के युवक व ज्येष्ठ नागरिकों की इस मीटिंग में बड़ी संख्या में उपस्थित थे.