चंद्रपुर
Published: Oct 27, 2020 07:50 PM ISTचंद्रपुर10 लोगों का हत्यारा आर.टी.1 आया पकड़ में, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
- नरभक्षी बाघ को पकडने में अंतत वनविभाग सफल
राजुरा. राजुरा और विरुर वनपरिक्षेत्र अंतर्गत अब तक 10 लोगों को अपना निवाला बना चुके आर. टी. 1 बाघ को पकडने आखिरकार वनविभाग को सफलता मिली है. बाघ वनविभाग को लगातार चकमा दे रहा था. सिंधी गांव के पास रेलवे पुल परिसर में वनविभाग के कंपार्टमेट क्र. 179 में आज मंगलवार की दोपहर 3.10 बजे के बीच बाघ को पकडने जाने की जानकारी मिली है. ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प के मुख्य वनसंरक्षक एन.आर प्रवीण ने हमलावर बाघ के पकड़े जाने की पुष्टि की है. बाघ के पकडे जाने की जानकारी मिलने के बाद से यहां ग्रामीणों में खुशी की लहर है.
बेहोश करने के बाद आया पकड़ में
बाघ को पकडने में तैनात की गई टीम ने परिसर में बाघ के नजर आने पर पहले उसके पिंजरे तक पहुंचने की प्रतीक्षा की. जैसे ही बाघ पिंजरे में प्रवेश कर गया तो टीम के शूटरों ने बेहोशी वाली बंदूक से उसपर निशाना साधकर उसे बेहोश किया और फिर उसे अपने कब्जे में ले लिया गया.
बाघ को पकडने का बढ रहा था दबाव
राजुरा तहसील में दहशत मचा रखे आर.टी. 1 बाघ ने अब तक 10 लोगों का निवाला बनाया था. वनविभाग दिन रात बाघ पर नजर बनाये हुए थे, किंतु हर बार बाघ चकमा दे रहा था. बाघ को पकडने के लिए वनविभाग ने पिंजरे में जानवर भी बांधा किंतु बाघ पिंजरे में नहीं आया.दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों द्वारा आदमखोर बाघ को शूट करने की मांग को लेकर वनविभाग कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किये जाने से वनविभाग पर लगातार दबाव बढ़ रहा था.
हर योजना हो रही थी फेल
बढते दबाव के चलते वनविभाग ने योजना अपनायी और जंगल में दो पिंजरे लगाये जिसमें बारी बारी से 16 वनपाल, वनरक्षक और वनमजदूर बैठने जो दूसरे पिंजरे की रस्सी पकडे रहेंगे और जैसे ही बाघ मुख्य पिंजरे में आया रस्सी खींचकर पिंजरे का दरवाजा बंद कर देंगे जिससे बाघ पिंजरे में कैद हो जाएगा. दूसरे पिंजरे में बैठने वालों की सुरक्षा की दृष्टि से पिंजरे में जाली भी बांधी गई थी जिससे पिंजरे में बैठे वनकर्मचारियों को किसी प्रकार का खतरा न हो परंतु इसका विरोध किए जाने के बाद यह योजना अमल में नहीं लगायी गई.
200 लोगों की टीमें लगी थी काम में
वनविभाग ने बाघ को 160 कैमरा ट्रैप्स को ग्रिड में विभाजित वन क्षेत्र में स्थापित किया गया था और उन्हें दिन में दो बार जांचा जाता था. कुल 40 पगमार्क इंप्रेशन पैड (पीआईपी) बाघ के ज्ञात ट्रेल्स के साथ तैयार किए गए थे और इसके मूवमेंट पर नज़र रखने के लिए उनकी लगातार निगरानी की जाती थी. इसके अलावा टीएटीआर और नागपुर से एक-एक, दो शिकार दल तैनात किए गए थे. साथ ही 25 एसटीपीएफ कर्मियों को ताडोबा से तैनात किया गया था. और इन कमांडो को पांच टीमों में विभाजित किया गया था एवं स्थानीय गाइडों द्वारा जंगल की खोज करने और बाघ के स्थान को ट्रैक करने में मदद की जा रही थी. इस प्रकार कुल 200 से अधिक लोग जंगल की खाक छान रहे थे.
शुक्रवार की रात तो बाघ पिंजरे में पहुंचने के बाद वनविभाग की टीम उसे अपने कब्जे में लेती उससे पूर्व बाघ वहां से भाग निकला था. बाघ को पकडने के लिए ड्रोन और स्निफर डॉग की सहायता लिए जाने के बाद भी बाघ वनविभाग को लगातार चकमा देते आ रहा था.
बाघ के हमले में अब तक मरने वाले
दि. नाम गांव
19 जनवरी 2019 वर्षा तोडासे खांबाडा
25 नवंबर 2019 श्रीहरी सालवे मूर्ति
25 दिसंबर 2019 महेश खोपडे राजुरा
4 जनवरी 2020 संतोष खामनकर काविठपेठ
6 मार्च 2020 मारुती टेकाम चुनाला
18 अगस्त 2020 वासुदेव कोंडेकर नवेगांव
26 दिसंबर 2020 गोंविदा मडावी नवेगांव
5 अक्टूबर 2020 मारोती पेंदोर खांबाडा