चंद्रपुर

Published: Oct 30, 2020 03:40 PM IST

चंद्रपुरचिमूर विस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सुरेश वर्मा

चंद्रपुर. चिमूर को पर्यटक स्थल घोषित कर प्रतिवर्ष 2 करोड़ रुपए देने की घोषणा वर्ष 2010 में तत्कालीन राज्यमंत्री और वर्तमान पालकमंत्री ने की थी। इस घोषणा को वर्षो बीत गये लेकिन पर्यटक स्थल पर कोई कार्य शुरु नहीं हुआ। चिमूर विधानसभा क्षेत्र के घोडाझरी, रामदेगी और सातवाहिनी अच्छे पर्यटक स्थान साबित हो सकते है किंतु इसके लिए आवश्यकता है जनप्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयासों की। क्योंकि चिमूर विधानसभा क्षेत्र सदा ही उपेक्षित रहा है।

घोडाझरी को हुसेन सागर की तर्ज पर विकसित करें

घोडाझरी तालाब चिमूर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाली नागभीड तहसील में है। चंद्रपुर शहर से 106 किमी, नागपुर से 97 किमी, चंद्रपुर नागपुर महामार्ग से 6 किमी दूरी पर स्थित विशाल तालाब है। इस तालाब में 12 महीने पानी भरा रहता है। जहां विशेष रुप से 15 अगस्त और 26 जनवरी को पर्यटकों की भीड़ उमड पडती है। इस स्थान की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है नागपुर से लोग यहां इन दिनों आते है। यहां पर मनोरंजन के सीमित साधन है जैसे की बोटिंग, बच्चों के खेलने के लिए झूले आदि है। किंतु यह सीमित है यदि घोडाझरी तालाब को हैदराबाद के हुसेन सागर की तर्ज पर विकसित कर दिया जाए तो सरकार को प्रतिवर्ष लाखों का राजस्व मिलेगा और नागरिकों को एक बेहतर पर्यटक स्थल। किंतु इसके लिए आवश्यकता है जनप्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयासों की।

रामदेगी को विकसित करने की आवश्यकता

चिमूर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रामदेगी एक अन्य पर्यटक स्थल हो सकता है। किवदंती के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम और सीता यहां पर आये थे। उनके रथ के पहियों के निशान आज भी यहां पर मौजूद है। किंतु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इस मंदिर तक जाने का मार्ग तक नहीं है। यदि इस मंदिर तक जाने का मार्ग बन जाये और यहां पर पर्यटकों के लिए सुविधा हो जाये यहां पर्यटकों की भीड लग जाएगी और सैकडों स्थानीय बेरोजगार को रोजगार। क्योंकि देश में इस प्रकार के स्थानों का विशेष महत्व है।

सातवाहिनी भी बन सकता है पर्यटक स्थल

नागभीड तहसील के तलोधी के पास स्थित वातवाहिनी की ऊंची पहाडी पर स्थित महादेव का मंदिर है। महाशिवरात्री के दौरान यहां पर भी दो दिनों तक विशाल मेला लगता है। किंतु ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक पहुंचने में श्रध्दालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पडता है। यदि इसे विकसित किया जा सके तो यहां पर भी अन्य क्षेत्रों की भारी अपार संभावनाएं है।

उपेक्षित रहा है चिमूर विस क्षेत्र

देश की आजादी में चिमूर का अपना इतिहास रहा है। जब संपूर्ण भारत अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था उस समय पर 16, 17 और 18 अगस्त को पूरा देश गुलाम था तब एकमात्र चिमूर स्वतंत्र था। चिमूर वासियों ने पूरे देश के गुलाम रहते हुए स्वतंत्रता में सांस ली। लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र की उपेक्षा होती रही है। पहले को चिमूर से लोकसभा का दर्जा छीन गया। इसके बाद जिला बनाने का प्रयास ठंडे बस्ते में चला गया है। वैसे चिमूर को जिला बनाने के नाम पर राजनीतिज्ञों ने जमकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी है।