चंद्रपुर

Published: Jul 01, 2020 09:18 PM IST

बाघ हमले बाघ पीड़ितों के परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि देने से इंकार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

चंद्रपुर. जिले में एक तरफ बाघों के हमले में नागरिकों की जान जाने की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है वहीं दूसरी ओर बाघ के हमलों में जान गंवाने वालों के परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने के लिए वन विभाग आनाकानी कर रहा है. 

बाघ के हमले में मृत व्यक्तियों को ही दोषी करार देकर वन विभाग उन्हें आर्थिक सहायता राशि देने के लिए स्पष्ट रूप से इंकार कर रहा है.

बाघ के हमले में जान गंवाने वाली एक महिला के पुत्र सुधाकर नन्नावरे ने एक पत्र परिषद में यह गंभीर बात सामने लायी. 

सुधाकर ने बताया कि, भद्रावती तहसील के ग्राम रानतलोधी निवासी उनकी माँ कमलाबाई महादेव नन्नावरे गाँव के समीप ही स्थित जंगल मे मोहा फूल चुनने गयी थी कि, अचानक झाड़ियों में छिपकर बैठे बाघ ने उनपर हमला किया जिसमें उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी.

उन्होंने बताया कि, घटना के बाद वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, गाँववाले तथा पुलिस कर्मी घटनास्थल पहुंचे, पंचनामा कर शव का भद्रावती में पोस्टमार्टम किया गया जिसमें मौत का कारण स्पष्ट रूप से बाघ के हमले में होंने की बात कही गयी है.

सुधाकर ने आगे कहा कि, बाघ के हमले में मृत महिला के एकमात्र वारिस के तौर पर उन्होंने ताडोबा अंधारी बाघ परियोजना ( कोर जोन ) के उपसंचालक से आर्थिक मदद के लिए पत्रव्यवहार किया लेकिन वन विभाग ने आर्थिक मदद देने से साफ इंकार कर दिया. इतना ही नहीं बल्कि मृत महिला के अंतिम संस्कार के लिए भी एक रुपया मदद नहीं की.

सुधाकर ने बताया कि, वन विभाग ने आर्थिक मदद देने से यह कहकर इंकार किया कि, यह महिला बिना अनुमति के जंगल मे मोहा फूल एकत्रित करने गयी थी जो कि, वन्य जीव संरक्षण कानून का सरेआम उल्लंघन है.

उन्होंने आगे कहा कि, रानतलोधी यह गाँव ताडोबा अभयारण्य के कोर जोन में आता है. इस गांव के अधिकांश लोग जंगल से मोहा फूल, तेंदू पत्ता आदि एकत्रित कर ही बरसों से अपनी उपजीविका करते आ रहे है. इसी गांव के कुछ और लोग भी बाघ के हमले में अपनी जान गंवा बैठे है तथा उनके परिजनों को वन विभाग द्वारा 50 हजार रुपये की मदद भी प्राप्त हुई है

 उन्होंने यह भी कहा कि, मई 2020 में चिमुर तहसील के कोलारा के पास के कोर जोन में आनेवाले सातारा ग्राम की महिला भी बाघ के हमले में जान गंवा बैठी थी उसके परिजनों को भी मदद दी गयी. रानतलोधी भी कोर जोन में ही आता है लेकिन यहां मदद नहीं दी जा रही है. दोनों गांव के लिए अलग अलग नियम अपनाए जाने पर उन्होंने सवाल उपस्थित किये है.