महाराष्ट्र
Published: Jul 04, 2022 04:50 PM ISTMaharashtra Politicsविधानसभा में भावुक हुए CM एकनाथ शिंदे, बच्चों को किया याद
मुंबई: विधानसभा में बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि बालासाहेब ने न्याय के लिए विद्रोह करना सिखाया था। शिंदे ने अपने भाषण में अब तक के अपने सफर के बारे में बताया। शिंदे ने विधानसभा में कहा, ‘हम पद, कुर्सी के लालच के आगे कभी नहीं झुके। इसलिए इतने विधायक आज मेरे साथ खड़े हैं। कई विधायकों के वजूद पर सवाल खड़ा हो गया था। इसलिए, हमें यह कदम उठाना पड़ा।’। इसी दौरान शिंदे की आंखों में आंसू आ गए। शिंदे ने बताया कि, मेरे आँखों के सामने मेरे दो बच्चों की जान गई, उस समय में पूरी तरह टूट चुका था। मैं राजनीति से बाहर निकल गया था।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आगे भावुक होते हुए कहा, ‘मैं शिव सैनिक को अपना परिवार मानता हूं। जब मेरे जीवन में एक दुखद घटना घटी। मेरे दो बच्चे मेरी आंखों के सामने इस दुनिया से चले गए, तब आनंद दिघे ने मेरा साथ दिया। मेरे पास जीने की कोई वजह नहीं थी। कई बार दिघे साहब घर आए। लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं अब राजनीति में नहीं आ सकता। उन्होंने मुझे समझाया कि, मुझे इस दुःख से बाहर निकलना होगा। मैं उनकी बातों को अनदेखा नहीं कर सका।
हमने जो भी फैसला लिया उसमें कोई निजी दिलचस्पी नहीं थी
हमने जो भी फैसला लिया उसमें कोई निजी दिलचस्पी नहीं थी। पहले मैं सीएम बनने वाला था। हमारे सभी विधायक यह जानते थे। लेकिन अजीत दादा या किसी ने बताया कि एकनाथ शिंदे को नहीं, कहा गया कि आपको (उद्धव ठाकरे) यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लेकिन एक बार अजीत दादा ने बस इतना कहा था कि यहां भी हादसा हुआ है। फिर उन्होंने कहा कि हमारे पास विरोध करने का कोई कारण नहीं था। फिर भी मैं सब भूल गया। पहले मुझे बताया गया और फिर तय हुआ कि उद्धव साहब ही मुख्यमंत्री होंगे। यह कहते हुए कि वह (एकनाथ शिंदे)पद की लालसा के लिए नहीं गए, शिंदे ने अपने विद्रोह के पीछे की भूमिका को स्पष्ट किया।
शिवसेना के वजूद पर सवाल खड़ा हो गया था
सीएम ने कहा, महाविकास अघाड़ी के साथ जाने के बाद शिवसेना विधायकों के वजूद पर सवाल खड़ा हो गया था। हर कोई इस बात को लेकर चिंतित था कि अगला चुनाव कैसे जीता जाए। विधायक हमेशा कहते हैं कि भाजपा हमारी स्वाभाविक मित्र है। उन्होंने यह भी कहा, विधायक कहते थे कि हम क्या कर रहे है। विधायकों ने उद्धव साहब से बात करने की मांग की। मैंने यह पांच बार कोशिश की। केसरकर इसके गवाह हैं। लेकिन हम सफल नहीं हुए।