गड़चिरोली

Published: Oct 21, 2021 11:42 PM IST

Asha Workerनहीं मिला कोविड का मानधन, दिवाली अंधेरे में जाने की नौबत; आशा वर्करों में तीव्र नाराजगी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

गड़चिरोली. कोरोना कालावधि में स्वास्थ्य कर्मचारियों के खंदे से खंदा मिलाकर कोरोना नियंत्रण में लाने के लिये आशा वर्करों ने काम किया है. वहीं उनके इस उल्लेखनीय कार्य को देख राज्य सरकार ने आदेश जारी कर ग्रापं स्तर पर एक हजार रूपये मानधन भी घोषित किया.

मात्र जिले की चामोर्शी तहसील के आमगांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत अनेवाले अनेक आशा वर्करों को पिछले 18 माह से मानधन नहीं मिला है. जिससे आशा वर्करों की दिवाली अंधेरे में जाने की संभावना जताई जा रही है. इस मामले को लेकर कोरोना योध्दा बनकर काम करनेवाली आशा वर्करों में राज्य सरकार के प्रति तीव्र नाराजगी व्यक्त की जा रही है.

वर्ष 2020-21 में कोरोना संक्रमण के चलते जनजीवन प्रभावित हो गया था. कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढऩे के कारण संक्रमण रोकने के लिये संस्थात्मक क्वारंटाईन कक्ष तैयार किया गया था. इन क्वारंटाईन कक्ष की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गयी थी. स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से रक्तगट लेने, बीपी जांच करने, टेम्प्रेचर जांच करने, दवा वितरित करने, क्वारंटाईन कक्ष में स्वच्छता रखने आदि कार्य आशा वर्कर महिलाओं ने किया.

आशा वर्कर ने यह कार्य 18 महिनों तक किया. उनके कार्य के मुआवजा के रूप में आशा वर्कर के लिये प्रति माह एक हजार रूपये व गटप्रवर्तकों के लिये 500 रूपये सरकार ने घोषित किया था. उक्त मानधन ग्रापं स्तर से दिये जानेवाला था. मात्र आमगांव केंद्र की आशा वर्कर महिलाओं को केवल एक माह का मानधन मिला है. शेष माह का मानधन अब तक नहीं मिला.

जिससे आशा वर्करों की दिवाली अंधेरे में जाने की नौबत आन पड़ी है. वहीं सरकार की निति पर भी तीव्र नाराजगी व्यक्त की जा रही है. बता दे कि, आमगांव केंद्र के आमगांव, कर्दल, सोनापुर, कुरूड, वालसरा, भोगणबोड़ी, डोंगरीटोला, खोरदा, गौरीपुर, भिवापुर, श्रीनिवासपुर आदि गांवों की महिलाएं आशा वर्कर का काम कर रही है.