गड़चिरोली

Published: Jul 19, 2021 09:34 PM IST

Deprived of developmentनजरअंदाज: कई गांवों में घरकुल योजना का लाभ नहीं, नपं क्षेत्र के लोग विकास से वंचित

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

एटापल्ली. तहसील मुख्यालयों का तेजी से विकास करने के लिये 6 वर्ष तहसील मुख्यालय की ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया है. एटापल्ली तहसील मुख्यालय की ग्रापं को नगर पंचायत का दर्जा मिलकर अब 6 से 7 वर्षों की कालावधि हो रही है. लेकिन नगर पंचायत क्षेत्र में अब तक आवश्यकता के अनुसार विकासकार्य नहीं हो पाए हैं.

विशेषत: नगर पंचायत में समावेश किए गए गांवों के नागरिकों को अब तक घरकुल का लाभ नहीं मिला है. जिससे एटापल्ली नगर पंचायत का अर्थ क्या? ऐसा सवाल अब नपं क्षेत्र के नागरिकों ने उपस्थित किया है. जिससे प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देकर नगर पंचायत के अंतर्गत आनेवाले गांवों के नागरिकों को घरकुल का लाभ दिलाने समेत गांवों में विकास कार्य करने की मांग नपं क्षेत्र के नागरिकों ने की है. 

सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग

एटापल्ली की ग्राम पंचायत को नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद एटापल्ली नपं के अंतर्गत क्षेत्र के मरपल्ली, वासामुंडी, कृष्णार, जीवनगट्टा व एटापल्ली टोला इन गांवों का समावेश किया गया. नगर पंचायत बनने के बाद संबंधित गांवों में बुनियादी सुविधाएं पहुंचने की आशा नागरिकों में व्यक्त की जा रही थी.

लेकिन अब 6 से 7 वर्षों की कालावधि बीत जाने के बावजूद भी संबंधित गांवों में आवश्यकता अनुसार बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पायी है. बता दें कि, नगर पंचायत के अंतर्गत अब तक केवल एटापल्ली में ही 23 घरकुल मंजूर हुए हैं. संबंधित गांवों के नागरिकों को अब तक घरकुल का लाभ नहीं मिला है. लाभार्थी पात्र होने के बावजूद भी घरकुल के अभाव में झोपड़ों में जीवनयापन करने की नौबत आन पड़ी है. 

प्रभारी के भरोसे पर चल रहा नपं का कामकाज 

एटापल्ली नगर पंचायत बनने के बाद से अब तक 6 से 7 मुख्याधिकारी बदले हैं. अब तक इस नगर पंचायत को नियमित मुख्याधिकारी नहीं मिला है. जिसके कारण नगर पंचायत का कामकाज प्रभारी मुख्याधिकारी के भरोसे पर चल रहा है. विशेषत: इस नपं का प्रभार कभी नायब तहसीलदार को तो कभी उपविभागीय अधिकारी को सौंपा जाता है.

जिसके कारण यह अधिकारी अपना काम छोड़ नगर पंचायत की ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसका खामियाजा नगर पंचायत क्षेत्र के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है. अनेक बार विभिन्न काम लेकर मुख्याधिकारी के पास पहुंचने पर मुख्याधिकारी नहीं मिलते हैं. जिसके कारण नागरिकों को निराश होकर वापस लौट जाना पड़ता है. वर्तमान स्थिति में भी इस नपं का कामकाज प्रभारी मुख्याधिकारी के भरोसे पर चल रहा है.