गड़चिरोली

Published: May 17, 2021 11:35 PM IST

गड़चिरोलीलॉकडाउन: दुकानों में काम करनेवाले कामगारों का छिना रोजगार, पेट भरने के लिये भटक रहे दर-दर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

गड़चिरोली. वर्तमान स्थिति में कोरोना का संक्रमण तीव्र रूप से फैल रहा है. कोरोना के चलते पुरी तरह जनजीवन प्रभावित हो गया है. अनेकों के रोजगार छिनने के कारण लोगों को घरों में बैठने की नौबत आन पड़ी है. जिसके कारण बेरोजगार हुए लोगों को वित्तीय संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है. ऐसे ही बेरोजगारी के दौर से गड़चिरोली शहर में विभिन्न दुकानों में कामगार के रूप में काम करनेवाले मजदूरों को गुजरना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि, 22 अपै्रल  से संपूर्ण राज्य में लॉकडाउन घोषित किया गया है. लॉकडाउन के कालावधि में केवल जीवनावश्यक वस्तुओं के के दुकान छोड़ अन्य सभी तरह का व्यापार बंद रखने का आदेश दिया गया है. पहले ही गड़चिरोली जिला पुरी तरह उद्योग विरहित है. इस जिले में किसी भी तरह का उद्योग नहीं होने के कारण अधिकत्तर कामगार दुकानों में ही काम करते है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इन कामगारों से उनका रोजगार छिन गया है. वहीं वर्तमान स्थिति में उन्हें रोजगार के लिये दर-दर भटकने की नौबत आन पड़ी है. 

लॉकडाउन खुलने की ओर टिकी है नजर 

विभिन्न तरह के दुकानों में कामगार के रूप में काम करनेवाले मजदूर अल्प मजदूरी पर काम करते है. इसमें भी अनेक बार समय पर मजदूरी नहीं मिलने के कारण अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके यह कामगार नियमित रूप से अपना काम करते है. लेकिन गत वर्ष से देश में कोरोना का संक्रमण होने के कारण सर्वाधिक मार इन मजदूरों को झेलनी पड़ रही है.

गत वर्ष भी करीब 7 से 8 माह तक व्यापार बंद होने के कारण अनेक पेशानियां झेलनी पड़ी है. और इस वर्ष भी लॉकडाउन के चलते दुकाने बंद होने के कारण कामगार वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे है. जिससे कामगारों की नजर लॉकडाउन खुलने की ओर लगी हुई है. 

कर्ज में डुब रहे मजदूर 

कोरोना ने सभी तरह का रोजगार बंद करवाया है. कोरोना के चलते 22 अपै्रल से लॉकडाउन घोषित होने के  बाद लॉकडाउन की कालावधि 15-15 दिन बढ़ती ही जा रही है. जिसके कारण सर्वाधिक मजदूर वर्ग त्रस्त हो गया है. पिछले 23 दिनों से राज्य मेंं लॉकडाउन घोषित होने के कारण मजदूरों का रोजगार छिन गया है. जिसके कारण मजदूरों के सामने पेट भरने की समस्या निर्माण हो गयी है. ऐसे में सभी तरह के दुकान बंद करने के कारण अपना पेट भरने के लिये मजदूरों को अपने मालिकों से कर्ज लेने की नौबत आन पड़ी है. जिससे मजदूर वर्ग कर्ज में डुबते नजर आ रहा है.