गड़चिरोली
Published: May 29, 2021 11:26 PM ISTगड़चिरोलीमहुआ फुल उत्पादन से आदिवासियों का सुधरेगा जीवनस्तर, आदिवासी विकास मंत्री एड. के. पी. पाडवी का प्रतिपादन
- मानव विकास कार्यक्रम अंतर्गत चलाऐंगे प्रकल्प
गड़चिरोली. गड़चिरोली जिले में आदिवासियों का जीवस्तर सुधारने के लिये मानव विकास कार्यक्रम अंतर्गत महुआ फुल-आदिवासी उपजिविका का एक साधन यह प्रकल्प चलाने को राज्य सरकार ने मंजूरी दी है. गड़चिरोली जिले के वन धन केंद्र के माध्यम से शबरी आदिवासी वित्त व विकास महामंडल यह प्रकल्प चलाया जाएगा. आदिवासी परिवारों को सक्षम करना और उन्हें वित्तीय दृष्टि से मजबूत करने के लिये यह प्रकल्प चलाया जाएगा. ऐसा प्रतिपादन आदिवासी विकास मंत्री एड. के. सी. पाडवी ने किया.
गड़चिरोली जिले में सर्वाधिक महुआ फुल का संकलन होता है. वहीं महुआफुल इस क्षेत्र के लोगों का जीवनयापन का साधन है. राज्य सरकार ने हाल ही में महुआ फुल से बंदी हटाई है. महुआ फुल का आदिवासियों के जीवन में महत्व समझकर आदिवासी विकास मंत्री एड. पाडवी, नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव देबाशीष चक्रवर्ती व शबरी महामंडल के व्यवस्थापकीय संचालक नितिन पाटिल के सहयोग से मानव विकास कार्यक्रम अंतर्गत गड़चिरोली जिले में यह प्रकल्प चलाया जाएगा.
इसमें लाभार्थी अथवा आदिवासी समाज व संस्था का हिस्सा 10 फिसदी तो राज्य सरकार का हिस्सा 90 फिसदी रहेगा. इस प्रकल्प के लिये राज्य सरकार के हिस्से का 336.36 लाख रूपयों की निधि को प्रशाकीय मान्यता दी गई है. यह प्रकल्प चलाने से पहले इसका आधारभुत सर्वेक्षण किया जाएगा. वहीं प्रकल्प समाप्त होने क ेबाद इसके फलनिष्पत्ती का मूल्यपामन किया जाएगा.
ऐसी है योजना
इस योजना में जिले के 95 वनधन केंद्र/ ग्राम संघ को महुआफुल खरीदी कर सामुहिक बिक्री करने के लिये प्रति केंद्र 10 लाख रूपये दिये जाएंगे. वनधन केंद्र के आदिवासी परिवारों को महुआफुल संकलन के लिये उपयोगी जाली, त्रिपाल, प्लास्टिक कैरेट आदि सामग्री खरीदने के लिये 300 परिवारों को प्रति परिवार 2 हजार रूपयों की निधि दी जाएगी.
वहीं ग्रामीण क्षेत्र से महुआ फुल खरीदी कर उसकी यातायात करने व शितगृह में रखने के लिये वनधन केंद्र/ग्राम संघ के सदस्यों को डीबीटी द्वारा वित्तीय सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही महुआफुल पर आधारित प्रक्रिया उद्योग शुरू करने के लिये आवश्यक यंत्र सामग्री खरीदी हेतु प्रत्येक वनधन केंद्र को 5 लाख रूपयों की निधि मिलेगी.
5 हजार महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण
गर्भवती व स्तनदा माताओं के लिये महुआ यह उत्कृष्ट पोषण का स्त्रोत है. इसके माध्यम से अच्छा पोषण आहार मिलता है. महुआ से अनेक घरेलु उपयोगी उत्पादन तैयार किए जा सकते है. यह उत्पादन तैयार करने के लिये 5 हजार महिलाओं को पहले चरण में प्रशिक्षण दिया जाएगा. महुआफुल का पेड़ यह आदिवासी बांधवों के लिये कल्पवृक्ष है.
महुआ फुल के माध्यम से आदिवासी परिवार वित्तीय रूप से सक्षम होंगे. इस प्रकल्प के माध्यम से महुआ फुल प्रक्रिया उद्योग शुरू होने पर आदिवासी संस्था व संबंधित क्षेत्र का विकास होगा. वहीं आदिवासी बांधवों का उत्पादन बढ़कर उनका जीवनस्तर सुधरेगा,ऐसा विश्वास आदिवासी विकास मंत्री पाडवी ने व्यक्त किया है.