गड़चिरोली

Published: Nov 29, 2021 11:18 PM IST

National Council at Gondwana Universityआदिवासियों को अपने जीवन का हिस्सा बनाए: कुलपति डा. वरखेड़ी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

गड़चिरोली. आदिवासी व दुसरे नागरिक ऐसे दो विन्न विश्व है. आदिवासियों के स्वयं के रहन-सहन, परंपरा और संस्कृति है. वह अलगपण अपने पहचानना चाहिये. आदिवासियों को समाज की मुख्यधारा में लाना चाहिए, यह कहना गलत है. इससे उनका विश्व नहीं बदलेगा. सही मायने में हमने ही यह जीवन व्यस्त रख समस्या निर्माण की है. आदिवासियों के वस्तुओं का संग्रालय बनने के बजाय उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिये.

ऐसा प्रतिपादन गोंडवाना विवि के कुलगुरू डा. श्रीनिवास वरखेड़ी ने किया. गोंडवाना विवि के सभागृह में आदिवासी संस्कृति और इतिहास इस विषय पर आयोजित राष्ट्रिय परिषद के समारोह सत्र में वह बोल रहे थे. कार्यक्रम में गुजरात के नामी आदिवासी विचारवंत अशोकभाई श्रीमाली, प्र-कुलगुरू डा. श्रीराम कावले, कुलसचिव डा. अनिल चिताड़े आदि उपस्थित थे. प्रा. डा. संतोष सुरडकर ने प्रस्तावना रखी. संचालन डा. नरेश मड़ावी ने किया तो इतिहास विभाग के प्रमुख डा. रश्मी बंड, रणजीत मेश्राम ने माना. 

आदिवासी विद्यापीठ बनाने के लिये कटीबध्द- डा. वरखेड़ी

आदिवासी भाषा व साहित्य का अभ्यास कर समझने की आवश्यकता है. इसके लिये अभ्यासक और संशोधक आगे आए. अपने अभ्यास का केंद्र्रबिंदु आदिवासी केंद्रीत हो. गोंडवाना विद्यापीठ यह आदिवासी विद्यापीठ बनाने के लिये कटिबध्द है. इसके लिये संशोधक आदिवासी संस्कृति का अभ्यास करने के लिये संपूर्ण देश से आएंगे. इस कार्य के लिये नागरिकों को सहयोग करने का आहवान डा. वरखेड़ी ने किया है. 

ऐसे उपक्रम नियमित आयोजित करें: श्रीमाली

निसर्ग यह आदिवासियों का भगवान है. जिससे जंगल का संरक्षण किया जाता है. आदिवासियों के चलते देश के संस्कृति का जतन हुआ है. लेकिन यही निसर्ग अब दिन-ब-दिन नष्ट हो रहा है. जिससे आदिवासियों के जीवन पर विपरित परिणाम हुआ है.

इस परिणाम का अभ्यास करना जरूरी है. इस तरह की यह पहली परिषद है. जिसमें सामाजिक संस्था, अभ्यासक और संशोधक एक मंच पर उपस्थित हुए है. ऐसे उपक्रम नियमित आयोजित किया जाए. यह विद्यापीठ ऐसा केंद्र बने कि, जहां विश्व से लोक संशोधन करने के लिये आए. ऐसी बात श्रीमाली ने कही. 

दर्जेदार शिक्षा देने विद्यापीठ प्रयासरत: डा. चिताडे 

गोंडवाना विवि के कुलसचिव डा. अनिल चिताड़े ने कहां कि, आदिवासी युवाओं में क्षमता और प्रतिभा है. प्रतिभा दिखाने के लिये उचित मंच और अवसर मिलना आवश्यक है. गोंडवाना विवि छात्रों को दर्जेदार शिक्षा देने के लिये आवश्यक प्रयास करेगा. ऐसी बात उन्होंने कही.