गड़चिरोली

Published: Jun 12, 2021 11:50 PM IST

गड़चिरोलीअब नक्सलियों ने किया मराठा आरक्षण का समर्थन, समाज से की संगठित होने की अपिल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

गड़चिरोली. वर्तमान स्थिति में संपूर्ण राज्य में मराठा आरक्षण चर्चा का विषय बन गया है. ऐसे में राज्य की आखरी छोर पर बसे गड़चिरोली जिले में नक्सलियों ने पर्चे फेंककर मराठा आरक्षण के इस भंवर में छलांग मार दी. मराठा आरक्षण के हित में नक्सलियों का यह पर्चा इन दिनों सोशल मीडिय़ा पर भी वायरल हो रहा है. नक्सलियों ने पर्चे के जरिये मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग की है. पिछले अनेक वर्षो से मराठा यह समाज पिछड़ा है.

वहीं इस समाज को पिछड़ा रखने का राजितिक षडय़ंत्र होने की बात कहते हुए आरक्षण के मतलब समानता और बराबरी होने की बात नक्सलियों ने पर्चे में कही है. लेनिक निजिकरण के इस दौरान आरक्षण को महत्व नहीं रह पाएगा. ऐसे में राजनितिक नेता आंदोलन के जरिये अपने रोटी सेक रहे है. जिससे समाज को संगठित होने की अपील भी नक्सलियों ने पर्चे में की है. पर्चे के अंत में सह्याद्री सचिव, भाकपा (माओवादी) महाराष्ट्र राज्य कमीटी ऐसा मजकूर लिखा है. 

मराठा समाज दलाल से सतर्क रहे 

नक्सल संगठन के नेता सह्याद्री के नाम से जारी किए गए इस पर्चे में सभी सत्ताधारी यह पुंतिपतियों के दलाल होने का आरोप नक्सलियों ने लगाया है. वहीं मराठा समाज की एकता का केवल राजनिति दावपेंंच के लिये उपयोग करने की बात कही है. भारतीय क्रांती का विजय करने के लिये अब मराठा समाज को एकजुट होने की आवश्यकता  है. किसी के भी झांसे में न आते हुए समाज अब एकजुट होना जरूरी हो गया है. विशेषत: समाज को दलालों से सतर्क रहने की अपिल पर्चे में की गई है. 

यह समाज केवल वोट बैंक 

राज्य की राजनिति में अधिकत्तर समय सत्ता में मराठा समाज से नेता रह चुके है. यदि ऐस है तो, मराठा समाज का विकास क्यु नहीं हुआ है. मराठा समाज के मुठ्ठीभर दलाल उद्योगपति हुए है. सही मायने में मराठा समाज को उनके अधिकारों से वंचित रखने के लिये यही लोग जिम्मेदार है. जिससे अब मराठा समाज को अपना शत्रु पहंचाना चाहिए. विशेषत: राजनिति दावपेंच में मराठा समाज को केवल वोट बैंक के रूप में ही उपयोग किया जा रहा है. ऐसी बात भी पर्चे में नक्सलियों ने कही है. 

किसान आंदोलन को भी किया था समर्थन 

बता दे कि, केंद्र सरकार के कृषि बील को लेकर दिल्ली की सीमा को किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा था.  उस समय भी गड़चिरोली जिले के विभिन्न तहसीलों में नक्सली पर्चे मिले थे. जहां नक्सलियों ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया कृषि बील किसान विरोधी होने की बात कहते हुए किसान आंदोलन को समर्थन दिया था. साथ ही यह आंदोलन निरंतर रूप से जारी रखने की अपील भी किसानों से की थी.