गड़चिरोली

Published: Jun 01, 2020 10:00 PM IST

शिक्षा क्षेत्र समय के अनुरूप स्वयं को सद्धि करे- डा. कुकरेजा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

देसाईगंज. कोरोना के मद्देनजर निर्माण हुए लॉकडाऊन के परिस्थितियों में परंपरागत शिक्षा पद्धती के बजाए आधुनिक तकनिकी का स्विकार जरूरत या मजबूरन सभी को मान्य करना पडा है. इसमें शिक्षा क्षेत्र भी बडी मात्रा में प्रभावित हुआ है. समय के अनुरूप प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को सद्धि करे, ऐसा कथन प्राचार्य डा. शंकर कुकरेजा ने किया. 

स्थानीय आदर्श महाविद्यालय में % तकनिकी शिक्षा पध्दति स्विकार ग्रामीण महाविद्यालय के समक्ष आह्वान तथा मौका इस विषय पर आयोजित नॅशनल वेबीनार के उद्घाटन के समय अध्यक्षीय मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे. 

वेबिनार का आयोजन 3 सत्र में किया गया था. प्रथम सत्र .’वर्तमान परस्थिति में परंपरागत शिक्षा पद्धति की मर्यादा तथा तकनिकी पद्धती के फायदे’ इस विषय पर लिया गया. इस मसय तक मार्गदर्शक के रूप में प्राचार्य डा. एन. एस. कोकोडे उपस्थित थे. द्वितीय सत्र ‘स्विकृत तकनिकी शिक्षा पद्धति में ग्रामीण महाविद्यालय के समक्ष के आह्वान’ इस विषय पर तज्ञ मार्गदर्शक के रूप में प्राचार्य डा. लालसिंग खालसा ने अपने विचार रखे. तृतीय सत्र ‘तकनिकी शिक्षा का अवलंब व सभी सहभागीयों को उपलब्ध मौके’ इस विषय पर तज्ञ मार्गदर्शक के रूप में डा. एस. बी. किशोर ने विचार व्यक्त किए. 

वेबिनार प्राचार्य डा. शंकर कुकरेजा के मार्गदर्शन में व आईक्युएसी विभाग की ओर से आयोजित किया गया था. वेबिनार में 22 राज्य के तथा कुछ विदेश के करीब 1200 प्राध्यापक सहभागी हुए थे. कार्यक्रम का संचालन संचालन आईक्युएसी के समन्वयक डा. श्रीराम गहाणे ने किया, आभार डा. एच. एम. कामडी ने माना.